यहां कुदरत ने बिखेरे हैं अनमोल नजारे, दीदार करना है तो चले आइए
प्रकृति के अनमोल नजारों के दीदार के साथ ही रोमांच के सफर का लुत्फ उठाना है तो उत्तरकाशी जिले के रूपनौल सौड़ बुग्याल पर चले आइए।
By BhanuEdited By: Updated: Sat, 30 Jun 2018 02:36 PM (IST)
उत्तरकाशी, [तिलक चंद रमोला]। यहां कुदरत इतनी मेहरबान है कि लगता है कि इस स्थान को बड़ी फुर्सत से तराशा गया हो। ऐसे स्थल के नजारे लेने हैं तो उत्तरकाशी जिले में चले आइए।
सीमांत उत्तरकाशी जिले में समुद्रतल से 3000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित रूपनौल सौड़ बुग्याल को प्रकृति ने बड़ी फुर्सत में संवारा है। रूपनौल सौड़ दरअसल छोटे-छोटे बुग्यालों (मखमली घास के मैदान) का समूह है, जो जिला मुख्यालय से 75 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां से मसूरी, देहरादून, नैनबाग व विकासनगर का मनमोहक नजारा देखते ही बनता है। यहां की हरियाली व सुंदरता के कारण ऐसा प्रतीत होता है, मानो हम गोल्फ के किसी बड़े मैदान में आ गए हैं। बावजूद इसके आज भी यह बुग्याल पर्यटकों की नजरों से ओझल है।
रूपनौल सौड़ जाने के लिए धरासू- यमुनोत्री हाईवे पर राड़ी टॉप पहुंचना पड़ता है। यहां से कफनौल गांव को जाने वाली सड़क पर करीब 17 किमी दूर गैर में वन विभाग का बंगला है। यहीं से रूपनौल सौड़ के लिए ट्रैकिंग शुरू होती है।
करीब 4.5 किमी लंबा यह ट्रैक रोमांच से भरपूर है। जबकि, दूसरा रास्ता राड़ी टॉप से कफनौल गांव जाने वाली सड़क पर दस किमी दूर मोराल्टू बुग्याल से होकर जाता है। करीब पांच किमी लंबा यह ट्रैक भी बेहद रमणीक है। रास्ते में घुरल, कस्तूरी मृग, हिमालयी थार, जंगली सूअर, जंगली मुर्गे आदि के दीदार से थकान का अहसास ही नहीं होता। हरे-भरे जंगलों का सम्मोहन छह किमी के दायरे में फैला रूपनौल सौड़ बुग्याल जूबल थातर, धूपकुंड, मोरशाला, अंयार थातर, चंद्रोगी, नैलांसू जैसे छोटे-छोटे बुग्यालों से मिलकर बना है।
बुग्याल की तलहटी में चारों ओर पसरे रई, मुरंडा, खिरसू, मोरू, बांज व बुरांश के घने जंगल मन को सम्मोहित-सा कर देते हैं। ग्रामीणों की अस्थायी छानियां खास आकर्षण गर्मियों में यहां मखमली हरी घास तो सर्दियों में बर्फ की सफेद चादर बिछी रहती है। मई से लेकर अक्टूबर तक इस बुग्याली क्षेत्र में क्यारी, मथाली, मंजगांव, धारी, कलोगी, कफनौल, हिमरोल, दारसों आदि गांवों के लोग यहां अपने मवेशियों के साथ वास करते हैं। इसलिए इन ग्रामीणों की अस्थायी छानियां भी यहां आकर्षण का केंद्र होती हैं। इन छानियों में पर्यटकों को दूध, दही आसानी से उपलब्ध हो जाता है।
पर्यटकों की नजरों से ओझल ग्राम पंचायत कफनौल के प्रधान विरेंद्र सिंह पंवार कहते हैं कि आज तक न तो किसी अधिकारी और न किसी विधायक ने ही रूपनौल सौड़ की ओर दृष्टि डालना जरूरी समझा। नतीजा यह स्थान आज भी पर्यटकों के बीच पहचान नहीं बना पाया है।
उधर, जिला पर्यटन अधिकारी पीएस खत्री का कहना है कि रूपनौल सौड़ को पर्यटन मानचित्र पर लाने के लिए उसका स्थलीय निरीक्षण करना पड़ेगा। इसके बाद ही आगे की कार्रवाई संभव हो पाएगी।यह भी पढ़ें: एडवेंचर के साथ प्रकृति को समझना है तो आप कर सकते हैं ट्री-ट्रैकिंग
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