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Uttarakhand Tunnel Rescue: बौखनाग देवता बनें सहारा! रेस्क्यू के साथ-साथ आस्था से भी बंधी रही उम्मीदों की डोर

Uttarkashi Tunnel Rescue Update सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को बचाने के लिए चलाए गए संयुक्त अभियान की राह में बार-बार अवरोध आते रहे लेकिन आस्था की डोर ने विश्वास की नींव को कमजोर नहीं होने दिया। मंगलवार को भी रोज की तरह सुबह ही सुरंग के पास बौखनाग देवता के मंदिर में पूजा शुरू हो गई थी। सभी वहां शीश नवाकर अभियान की सफलता की कामना कर रहे थे।

By Shailendra prasadEdited By: riya.pandeyUpdated: Tue, 28 Nov 2023 05:20 PM (IST)
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आस्था की जोत से प्रज्ज्वलित रहा विश्वास का दीप

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। Uttarkashi Tunnel Rescue Update: सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को बचाने के लिए चलाए गए संयुक्त अभियान की राह में बार-बार अवरोध आते रहे, लेकिन आस्था की डोर ने विश्वास की नींव को कमजोर नहीं होने दिया। मंगलवार को भी रोज की तरह सुबह ही सुरंग के पास बौखनाग देवता के मंदिर में पूजा शुरू हो गई थी।

जनप्रतिनिधि, अधिकारी, बचाव टीम के सदस्य, श्रमिकों के स्वजन व स्थानीय ग्रामीण वहां शीश नवाकर अभियान की सफलता की कामना कर रहे थे। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह ने भी ग्रामीणों के साथ मंदिर में पहुंचकर हवन में आहुति डाली।

आस्था से भी बंधी रही उम्मीद की डोर

सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को बचाने के लिए देशी-विदेशी मशीनों के साथ आधुनिक तकनीकी का भी भरपूर इस्तेमाल किया गया। वहीं, आस्था से भी उम्मीद की डोर बंधी रही।

बचाव अभियान को सफल बनाने की कामना को लेकर 18 नवंबर को निर्माण कंपनी नवयुग इंजीनियरिंग व एनएचआइडीसीएल ने सुरंग के गेट की दायीं ओर बौखनाग देवता का एक छोटा-सा मंदिर स्थापित किया। इसके बाद से यहां सुबह-शाम नियमित रूप से पूजा-अर्चना हो रही थी। जब भी कार्य की निगरानी के लिए इंजीनियर, विशेषज्ञ, जनप्रतिनिधि आदि सुरंग के अंदर जाते हैं, पहले इस मंदिर में मत्था अवश्य टेकते थे।

बौखनाग देवता के प्रति श्रद्धा ने बांधे रखा धैर्य

श्रमिकों के स्वजन भी जब निराशा के भंवर में घिरने लगते थे, तब बौखनाग देवता के प्रति श्रद्धा का भाव ही उन्हें धैर्य बंधाता था। स्थानीय ग्रामीणों की देवता के प्रति अटूट श्रद्धा देख उनका विश्वास कभी डगमगाने नहीं पाया।

मंगलवार को तो सिलक्यारा समेत आसपास के गांवों की महिलाएं सुबह ही मंदिर पहुंचकर देव स्तुति में जुट गई थीं। उनकी भजन लहरियों से वातावरण आलौकित हो रहा था। जैसे-जैसे अभियान सफलता की ओर बढ़ रहा था, मंदिर में भी ग्रामीणों की भीड़ बढ़ती जा रही थी।

हर व्यक्ति ने टेके बौखनाग मंदिर में शीश

सिलक्यारा पहुंचने वाला हर व्यक्ति सबसे पहले बौखनाग मंदिर में शीश नवा रहा था। स्थानीय निवासियों का कहना था कि बौखनाग देवता की कृपा से ही मौसम अभियान में अवरोध नहीं बना और श्रमिक सुरंग से सुरक्षित बाहर भी आ गए।

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