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Silkyara Tunnel: सिलक्यारा सुरंग में निर्माण कार्य ने पकड़ी रफ्तार, हर रोज हो रही खोदाई; डी-वॉटरिंग से निकलेगा पानी

Silkyara Tunnel चारधाम ऑल वेदर रोड परियोजना की सिलक्यारा-बड़कोट सुरंग में निर्माण कार्य ने गति पकड़ ली है। डी-वाटरिंग (पानी की निकासी)के लिए शुक्रवार को कार्यदायी संस्था नेशनल हाईवे एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एनएचआइडीसीएल) के इंजीनियरों और एसडीआरएफ की टीम ने सुरंग के अंदर जाकर निरीक्षण किया। अब यहां काम श्रमिकों का मनोबल बढ़ाने और सुरक्षा के लिए एसडीआरएफ भी तैनात रहेगी।

By Jagran News Edited By: Swati Singh Updated: Sat, 17 Feb 2024 04:11 PM (IST)
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सिलक्यारा सुरंग में निर्माण कार्य ने पकड़ी रफ्तार, हर रोज हो रही खुदाई
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। चारधाम ऑल वेदर रोड परियोजना की सिलक्यारा-बड़कोट सुरंग में निर्माण कार्य ने गति पकड़ ली है। बड़कोट की तरफ से सुरंग में प्रतिदिन लगभग आधा मीटर खोदाई की जा रही है। पिछले चार दिन में दो मीटर खोदाई हो चुकी है। जबकि, सिलक्यारा की तरफ डी-वाटरिंग (पानी की निकासी) की तैयारी शुरू हो गई है।

डी-वाटरिंग (पानी की निकासी)के लिए शुक्रवार को कार्यदायी संस्था नेशनल हाईवे एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एनएचआइडीसीएल) के इंजीनियरों और एसडीआरएफ की टीम ने सुरंग के अंदर जाकर निरीक्षण किया। आज से डी-वाटरिंग शुरू होने की उम्मीद है। इस दौरान श्रमिकों का मनोबल बढ़ाने और सुरक्षा के लिए एसडीआरएफ भी तैनात रहेगी।

सुरंग में लगेगा सीसीटीवी

सुरंग में श्रमिकों के साथ एक तकनीकी टीम भी जाएगी, जो वहां सेंसर, सीसीटीवी कैमरा और टेलीफोन लगाएगी। ताकि, सुरंग के अंदर की गतिविधियों की जानकारी मिलती रहे और संवाद भी बना रहे। कंपनी ने जिला प्रशासन से आपात स्थिति के लिए एंबुलेंस और चिकित्सकों की मांग भी की है।

2023 में फंसे थे 41 श्रमिक

उत्तरकाशी में यमुनोत्री राजमार्ग पर स्थित सुरंग में 12 नवंबर 2023 को भूस्खलन होने से 41 श्रमिक फंस गए थे, जिन्हें 17 दिन बाद निकाला जा सका था। इस घटना से सुरंग में निर्माण के साथ सिलक्यारा की तरफ से डी-वाटरिंग भी बंद हो गई थी।

23 जनवरी को मिली थी निर्माण कार्य की अनुमति

इसी वर्ष 23 जनवरी को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने सुरंग में निर्माण की अनुमति दी है। इस कड़ी में निकास सुरंग व अन्य सुरक्षा बंदोबस्त करने के बाद 11 फरवरी को बड़कोट की ओर से निर्माण शुरू कर दिया गया, जबकि सिलक्यारा की तरफ पहले डी-वाटरिंग की जानी है। लेकिन, पिछले तीन माह में सुरंग के भीतर कितना पानी एकत्र हुआ, इसका एनएचआइडीसीएल के अधिकारियों को भी सही अनुमान नहीं है।

800 एमएम व्यास के पाईप से गए श्रमिक

सुरंग के भीतर कितना पानी एकत्र हुआ यही पता लगाने के लिए शुक्रवार को एसडीआरएफ की टीम के साथ कंपनी के इंजीनियर सुरंग के अंदर गए। देर शाम तक टीम निरीक्षण में जुटी रही। सुरंग में काम करने वाले श्रमिकों ने बताया कि टीम ने उसी 800 एमएम व्यास के पाइपों से सुरंग में प्रवेश किया, जिससे 41 श्रमिकों को सकुशल बाहर निकाला गया था।

सुरंग 4531 मीटर है लंबी

सुरंग के अंदर बिजली तो है, लेकिन पानी कितना भरा हुआ है, इसका पता अभी नहीं चल पाया है। यह सुरंग 4531 मीटर लंबी है। पिछले वर्ष जब भूस्खलन हुआ, तब सिलक्यारा की तरफ से 2340 मीटर और बड़कोट की तरफ से 1600 मीटर खोदाई हो चुकी थी।

बौखनाग देवता के मंदिर का निर्माण भी शुरू

सिलक्यारा सुरंग निर्माण करने वाली नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी ने शुक्रवार को सिलक्यारा सुरंग के मुहाने के पास बौखनाग देवता के मंदिर का निर्माण शुरू कर दिया है। मंदिर निर्माण के लिए बुनियाद की खोदाई का कार्य शुरू कर दिया गया है। इस कार्य के शुरू होने के दौरान नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी के अधिकारी भी मौजूद रहे।

सुरंग हादसे के बाद किया गया था वादा

दरअसल बीते वर्ष नवंबर में सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों के सकुशल निकाले जाने का कार्य पूरा होने के बाद कंपनी के अधिकारी और कर्मचारी बौखनाग टाप स्थित मंदिर में पहुंचे। यहां उन्होंने सिलक्यारा सुरंग के पास भव्य मंदिर बनाने का आश्वासन दिया था। फिर मंदिर निर्माण के लिए भूमि भूजन किया गया। शुक्रवार को एसडीआरएफ व कंपनी की संयुक्त टीम के सुरंग के अंदर निरीक्षण पर जाने से पहले मंदिर निर्माण के लिए बुनियाद की खोदाई का कार्य शुरू किया गया।

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