बर्फबारी न होने के बावजूद उत्तराखंड की हर्षिल घाटी में 'White Curfew', जीना दुश्वार, जमे नाले-झरने, तस्वीरें
Streams and Waterfalls Frozen इस बार हर्षिल घाटी में बर्फबारी नहीं हुई है। हर्षिल घाटी में सूखी ठंड से जीना दूभर हो गया है। वहीं भीषण ठंड के कारण डबराणी से लेकर गंगोत्री तक कई झरने और नाले पाले से जम चुके हैं।
By Shailendra prasadEdited By: Nirmala BohraUpdated: Mon, 19 Dec 2022 08:16 AM (IST)
शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी : Streams and Waterfalls Frozen : दिसंबर का दूसरा पखवाड़ा शुरू होने के बावजूद इस बार हर्षिल घाटी में बर्फबारी नहीं हुई है। हर्षिल घाटी में सूखी ठंड से जीना दूभर हो गया है।
कई झरने और नाले पाले से जम चुके हैं
हर दिन तापमान गिरता जा रहा है। हाल यह है कि भीषण ठंड के कारण डबराणी से लेकर गंगोत्री तक कई झरने और नाले पाले से जम चुके हैं। गंगोत्री क्षेत्र में गंगा (भागीरथी) के जिस हिस्से में पानी का बहाव कम है, वहां गंगा के दोनों किनारों पर पानी भी पाले का रूप ले रहा है। धराली के निकट सात क्षेत्र के ताल के भी अधिकांश हिस्से जम चुके हैं। हर्षिल, धराली, झाला, गंगोत्री पहुंच कर पर्यटक इन नजारों का आनंद ले रहे हैं।वहीं, चमोली जिले के नीति घाटी के मलारी बंपा गांव में कड़ाके की ठंड के चलते नदी-नाले भी जमने लगे हैं, जिससे निचले इलाकों में भी ठंड बढ़ गई है। चमोली के नीति घाटी में क्षेत्र में भोटिया जनजाति के लोग रहते हैं। शीतकाल में ये लोग गोपेश्वर, नंदप्रयाग और जोशीमठ सहित आसपास के गांवों में आ जाते हैं और ग्रीष्मकाल में मूल गांवों में लौट जाते हैं।
इस वर्ष नवंबर के प्रथम सप्ताह में जनजाति के लोग अपने शीतकालीन गांवों में आ गए हैं। इन दिनों नीति, बंपा और आसपास के क्षेत्रों में सिर्फ सेना व बीआरओ के जवान ही मौजूद हैं। ठंड का प्रकोप इतना कि क्षेत्र में नदी, नाले और झरनों का पानी जमना शुरू हो गया है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।सूखी ठंड से बढ़ी मुश्किलें
केदारनाथ धाम सहित उच्च हिमालयी क्षेत्रों में दिसंबर के दूसरे पखवाड़े की शुरुआत में भी बर्फबारी न होने से मुश्किलें बढ़ गई हैं। सूखी ठंड पड़ने से जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया है। केदारघाटी के निचले क्षेत्रों में मौसम शुष्क बना हुआ है। ठंड से पानी जमने लगा है। लंबे समय से बारिश नहीं होने से कोरी ठंड के चलते छोटे बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज्यादा बीमार हो रहे हैं। मौसम में परिवर्तन का असर फसलों पर भी पड़ रहा है।मौसम का हाल
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