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चीन से सटी उत्तराखंड की 345 किमी सीमा...तवांग में संघर्ष के बाद बढ़ी सतर्कता...माइनस 10 डिग्री में डटे हिमवीर

Tawang Clash अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच संघर्ष के बाद उत्तराखंड में सीमा पर सतर्कता बढ़ गई है। भारत-चीन सीमा के इस इलाके में अग्रिम मोर्चे पर तैनात भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल की चौकन्नी निगाह है।

By Shailendra prasadEdited By: Nirmala BohraUpdated: Wed, 14 Dec 2022 08:46 AM (IST)
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Tawang Clash : उत्तराखंड की 345 किलोमीटर सीमा हमेशा से रही है संवेदनशील
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी : Tawang Clash : अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच संघर्ष के बाद उत्तराखंड में सीमा पर सतर्कता बढ़ गई है।

अग्रिम मोर्चे पर तैनात भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल की चौकन्नी निगाह

जनपद उत्तरकाशी के नेलांग घाटी में समुद्रतल से लगभग चार हजार मीटर की ऊंचाई और अधिकतम तापमान चार डिग्री व न्यूनतम तापमान माइनस 10 डिग्री तापमान के बीच है।

भारत-चीन सीमा के इस इलाके में अग्रिम मोर्चे पर तैनात हिमवीरों (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल) की चौकन्नी निगाह है।

उत्तराखंड की 345 किलोमीटर सीमा हमेशा से रही है संवेदनशील

तवांग में चीनी सैनिकों की घुसपैठ के बाद उपजे तनाव के बीच चीन से सटी उत्तराखंड की 345 किलोमीटर सीमा हमेशा से संवेदनशील रही है। इसमें से 122 किलोमीटर उत्तरकाशी जिले में है। सामरिक दृष्टि से संवेदनशील यह क्षेत्र जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से करीब 122 किलोमीटर दूर है।

नेलांग घाटी में सेना और आइटीबीपी के जवान सतर्क

विषम भूगोल वाली नेलांग घाटी में सेना और आइटीबीपी के जवान सतर्क हैं। उत्तरकाशी के पास चिन्यालीसौड़ में हवाई पट्टी पर भी वायु सेना ने अपने कई विमानों के जरिये पूर्व में कई बार सुरक्षित लैंडिंग और टेकअप कर अभ्यास किए हैं।

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चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी भी सामरिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। बीते 9 दिसंबर को वायु सेना के चीता हेलीकाप्टर भी पहुंचे थे, जबकि पांच दिसंबर की रात्रि के समय भी फाइटर प्लेन के जरिये अभ्यास किया था।

चीनी सैनिकों ने नेलांग घाटी में घुसपैठ की थी

वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान चीन सीमा पर गतिरोध बना था। चीनी सैनिकों ने नेलांग घाटी में घुसपैठ की थी। भारतीय सेना ने पीछे धकेल दिया।

उस दौरान सुरक्षा के लिहाज से नेलांग घाटी का नेलांग व जादूंग गांव सेना ने खाली करवाए थी। नेलांग और जादूंग में ग्रामीणों की जमीनों पर सेना और आइटीबीपी ने अपने कैंप बनाए हैं।

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