Tehri Lok Sabha election Result 2024: राजशाही में विरोध, लेकिन सियासत में सम्मान...13 बार सिर पर सजा जीत का ताज
Tehri Lok Sabha election Result 2024 देश आजाद होने पर स्थिति ये थी कि टिहरी रियासत में आजादी का जश्न मनाने और राजशाही का विरोध करने वालों को जेल में डाला जा रहा था। बाद में यहां के लोगों ने रियासत के विरुद्ध आक्रोश भुलाकर राज परिवार को सियासत का ताज पहना दिया। अभी तक 12 चुनाव में टिहरी के लोग राजपरिवार के सदस्यों को सांसद चुन चुके हैं।
उत्तरकाशी : Tehri Lok Sabha election Result 2024: आजादी की लड़ाई में टिहरी रियासत के लोगों को अंग्रेजों के अलावा टिहरी की राजसत्ता से भी एक बड़ा संघर्ष करना पड़ा। राजसत्ता के विरुद्ध इतना विद्रोह था कि यहां के लोगों को जेलों में रहना पड़ा और शहादत भी देनी पड़ी। देश आजाद होने पर स्थिति ये थी कि टिहरी रियासत में आजादी का जश्न मनाने और राजशाही का विरोध करने वालों को जेल में डाला जा रहा था।
आखिरकार राजसत्ता के भारी विद्रोह के बाद टिहरी रियासत का भी देश में विलय हुआ। पर, विलय के बाद फिर यहां के लोगों ने रियासत के विरुद्ध आक्रोश भुलाकर राज परिवार को सियासत का ताज पहना दिया। 1952 के पहले चुनाव में निर्दल प्रत्याशी राजमाता कमलेंदुमति शाह को टिहरी के लोगों ने संसद में भेजा। अभी तक 12 आम चुनाव और एक उप चुनाव में टिहरी के लोग राजपरिवार के सदस्यों को सांसद चुन चुके हैं।
1930 को हुआ टिहरी रियासत के खिलाफ पहला विद्रोह
टिहरी रियासत की नीतियों के विरुद्ध और वन अधिकारों को लेकर सबसे पहला विद्रोह उत्तरकाशी के तिलाड़ी में 30 मई 1930 को हुआ। इस विद्रोह में सैकड़ों लोगों की जान गई। जिसके बाद राजशाही के विरुद्ध श्रीदेव सुमन ने टिहरी जेल में 29 फरवरी 1944 से 21 दिन का उपवास किया। जिसके बाद 3 मई 1944 से राजशाही के खिलाफ जेल में ही उन्होंने 84 दिन की ऐतिहासिक भूख हड़ताल कर अपना बालिदान दिया।सुमन की शहादत के बाद राजशाही के विरुद्ध आंदोलन और तेज हुआ। 15 अगस्त 1947 को देश के स्वतंत्र होने के बाद टिहरी रिसासत के राजा ने अपना शासन जारी रखने की घोषणा की थी। राजशाही के खात्मे के लिए दौलत राम, नागेंद्र सकलानी, वीरेंद्र दत्त सकलानी व परिपूर्णानंद पैन्यूली ने नेतृत्व संभाला।कीर्तिनगर के कड़ाकोट क्षेत्र में आंदोलन के नेता नागेंद्र सकलानी व मोलू भरदारी 11 जनवरी 1948 को राज के सिपाहियों की ओर से हुई गोलीबारी में शहीद हुए और तेगा सिंह घायल हुए। इस गोली कांड के विरोध में पूरी रियासत (टिहरी-उत्तरकाशी) में अभूतपूर्व विद्रोह शुरू हुआ। आखिरकार 1 अगस्त 1949 को टिहरी गढ़वाल राज्य का भारतीय गणराज्य में विलय हुआ। परंतु, रियासत जाने के बाद इस राज परिवार को यहां की जनता ने सियासत में सम्मान दिया।
राजपरिवार का सियासत का सफर
- लोकसभा के इन चुनाव में जीता राजपरिवार
- 1952- कमलेंदुमति शाह (निर्दल)
- 1957- मानवेंद्र शाह (कांग्रेस)
- 1962- मानवेंद्र शाह (कांग्रेस)
- 1967- मानवेंद्र शाह (कांग्रेस)
- 1991- मानवेंद्र शाह (भाजपा)
- 1996- मानवेंद्र शाह (भाजपा)
- 1998- मानवेंद्र शाह (भाजपा)
- 1999- मानवेंद्र शाह (भाजपा)
- 2004- मानवेंद्र शाह (भाजपा)
- 2012- मालाराज्य लक्ष्मी शाह (भाजपा) उप चुनाव
- 2014- मालाराज्य लक्ष्मी शाह (भाजपा)
- 2019- मालाराज्य लक्ष्मी शाह (भाजपा)
- 2024- मालाराज्य लक्ष्मी शाह (भाजपा)