ग्रामीण बोले, साहब! आप सड़क खोल दो, राशन हम ले आएंगे
आराकोट क्षेत्र के आपदा प्रभावित जिलाधिकारी से बोले साहब! हम राशन बाजार से खुद ही खरीदकर ले आएंगे बस! आप हमारी लाइफ लाइन (सड़क) को सुचारु करवा दीजिए।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 22 Aug 2019 02:06 PM (IST)
उत्तरकाशी, जेएनएन। आराकोट क्षेत्र के आपदा प्रभावितों की सबसे पहली मांग सड़क खोलने की है। बुधवार को मोल्डी गांव में हेलीकॉप्टर क्रैश होने के बाद ग्रामीण जिलाधिकारी समेत राहत मजिस्ट्रेट से बोले, साहब! हम राशन बाजार से खुद ही खरीदकर ले आएंगे, बस! आप हमारी लाइफ लाइन (सड़क) को सुचारु करवा दीजिए।
आराकोट से 25 किमी दूर मोंडा गांव के अब्बल सिंह ने कहा कि हेलीकॉप्टर से चावल की एक बोरी को गांव तक पहुंचाने में एक लाख रुपये से अधिक की लागत आ रही है। लेकिन, गांव में लाखों रुपये का जो सेब है, वह पेड़ों और सड़कों पर खराब हो रहा है। इसलिए उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण राहत अगर कुछ है तो वह सड़क है। टिकोची गांव के गुड्डू सिंह पंवार ने कहा कि आराकोट से 35 गांवों को जोड़ने वाली सड़क जगह-जगह टूटी पड़ी है। कई पुल बह गए हैं, जिनके पुनर्निर्माण को अभी तक कोई कार्यवाही होती नजर नहीं आ रही। वे कहते हैं, ग्रामीणों ने जिला आपदा प्रबंधन और जिलाधिकारी से यही गुहार लगाई है कि जैसे भी हो जल्द से जल्द क्षतिग्रस्त सड़क और पुलों को दुरुस्त किया जाए। ताकि वे सेब आदि सामग्री को बेचने के लिए बाजार ले जा सकें। रही राहत और राशन की बात तो वे खुद ही बाजार से राशन खरीद सकते हैं।
विदित हो कि आराकोट में आपदा की मार सड़क और पैदल रास्तों पर भी पड़ी है। मोल्डी से टिकोची के बीच तीन किमी के क्षेत्र में पूरी सड़क गायब है। टिकोची से किराणू-दुचाणू गांव जाने का मोटर पुल, जागटा गांव की सड़क व गांव को जोडऩे वाला पुल और चिवां गांव के पास सड़क का पता नहीं चल पा रहा। बरनाली-गोकुल, डगोली-माकुड़ी और बलावट-मोंडा मोटर मार्ग पर जगह-जगह भारी भूस्खलन हुआ है, जिससे कई स्थानों पर मार्ग लापता हो गया है। उधर, जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने कहा कि सड़क मार्ग को खोलना सबसे महत्वपूर्ण है। इस कार्य के लिए मैन पावर भी बढ़ा दी गई है। टिकोची के पास बेली ब्रिज तैयार करने के लिए श्रीनगर (पौड़ी) से सामान आना भी शुरू हो गया है।
रेस्क्यू के बीच सड़क खोलने के अभियान ने पकड़ी गति
आराकोट आपदा के चौथे दिन हेलीकॉप्टर के क्रैश हो जाने के बाद हेली से राहत और रेस्क्यू कार्य रोका दिया गया है, लेकिन सड़क और पैदल मार्गों से ग्रामीण क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाने का कार्य जारी रहा। आराकोट और सनेल के बीच मार्ग को आवाजाही के लिए खोल दिया गया है, जबकि आराकोट, चिवां मोंडा मार्ग पर कार्य चल रहा है।
बुधवार को सनेल और टिकोची के पास लापता लोगों की तलाश के लिए अभियान चलाया गया। लेकिन उफान में बहे लापता लोगों का पता नहीं चल सका। आराकोट के निकट 50 मीटर सड़क काटी गई। टिकोची के पास पुल निर्माण के लिए श्रीनगर से 16 ट्रकों के माध्यम से सामान रवाना हो चुका है। टिकोची के पास सड़क और पुल को काफी नुकसान हुआ है।
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आराकोट क्षेत्र में आपदा राहत कार्य के चौथे दिन हेलीकॉप्टर क्रैश होने का एक दर्दनाक हादसा हुआ। जिसके बाद प्रशासन ने हेली रेस्क्यू रोका। इस हादसे से पहले टिकोची, चिवां, मोंडा, बलावट, माकुड़ी, किराणु, दुचाणू, मोल्डी सहित कई गांवों में वायु सेना के एक हेली, निजी कंपनी के दो हेली और उत्तराखंड सरकार के एक हेली के जरिये राशन व राहत सामग्री पहुंचाई गई। वहीं सनेल, टिकोची में चले अभियान में किसी लापता व्यक्ति का पता नहीं चल पाया। आराकोट आपदा में अभी तक 15 लोगों की मृत्यु की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 12 लोग अभी भी लापता हैं।
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