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जिस जगह बस पलटी, वहां पर है अंधा मोड़; 15 वर्ष में हो चुके तीन बड़े हादसों में 37 की गई जान, जिम्मेदारों ने आंखें फेरी

गंगोत्री हाईवे पर 11 जून को जिस जगह तीर्थ यात्रियों से भरी बस खाई में गिरी वहां अंधा मोड़ है। पूर्व में भी यहां दो हादसों में 34 लोगों की जान जा चुकी है। बावजूद इसके जिम्मेदारों ने अंधे मोड़ को दुरुस्त करने की जरूरत नहीं समझी। मोड़ से पहले चालकों को सावधान करने के लिए चेतावनी बोर्ड और रंबल स्ट्रिप जैसी भी कोई व्यवस्था नहीं की गई है।

By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Updated: Sat, 15 Jun 2024 02:52 AM (IST)
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15 वर्ष में हो चुके तीन बड़े हादसों में 37 की गई जान, जिम्मेदारों ने आंखें फेरी

शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी। गंगोत्री हाईवे पर 11 जून को जिस जगह तीर्थ यात्रियों से भरी बस खाई में गिरी, वहां अंधा मोड़ है। पूर्व में भी यहां दो हादसों में 34 लोगों की जान जा चुकी है। बावजूद इसके जिम्मेदारों ने अंधे मोड़ को दुरुस्त करने की जरूरत नहीं समझी। 

यही नहीं, मोड़ से पहले चालकों को सावधान करने के लिए चेतावनी बोर्ड और रंबल स्ट्रिप जैसी भी कोई व्यवस्था नहीं की गई है। क्रैश बैरियर भी इतने मजबूत नहीं हैं कि दुर्घटना होने से रोक पाएं। 

नतीजतन मंगलवार रात इस मोड़ ने तीन जिंदगी और लील लीं। हादसे के कारणों की पड़ताल के लिए बुधवार को घटनास्थल पर पहुंची परिवहन विभाग और लोक निर्माण विभाग की तकनीकी टीम भी यह लापरवाही देखकर हैरत में पड़ गई। 

अंधा मोड़ लोगों की जान के लिए आफत

गंगोत्री धाम से करीब 50 किमी पहले गंगनानी में 20 मीटर लंबा अंधा मोड़ लोगों की जान के लिए आफत बना हुआ है। यह मोड़ इतना तीखा है कि सामने से आने वाले वाहन दूर से भी नजर नहीं आते। 

सड़क के एक तरफ पहाड़ है तो दूसरी तरफ लगभग 50 मीटर गहरी खाई, जिसमें भागीरथी नदी बहती है। उस पर सड़क की चौड़ाई भी बामुश्किल 13 फीट है, जिसे हाईवे के लिहाज से पर्याप्त नहीं कहा जा सकता। 

ऐसे में सावधानी हटते ही दुर्घटना हो जाती है। पिछले 15 वर्ष में यहां तीन बड़े हादसे हो चुके हैं, जिनमें 37 लोग काल कवलित हुए। साथ ही 50 से ज्यादा लोग घायल भी हुए। 

हैरत इस बात की है कि इतनी जिंदगियां समाप्त होने के बाद भी इस मोड़ को दुरुस्त करना तो दूर यहां दुर्घटना आशंकित क्षेत्र और गति नियंत्रण से संबंधित साइन बोर्ड तक नहीं लगाया गया। 

पहले हादसे में गई थी 27 जानें

इस मोड़ पर पहली बड़ी दुर्घटना वर्ष 2010 में एक अगस्त को हुई थी, जब कांवड़ यात्रियों से भरा ट्रक खाई में जा गिरा। इस हादसे में 27 कांवड़ यात्रियों की मौत हुई। फिर, एक वर्ष पहले 20 अगस्त 2023 को यहीं पर एक बस दुर्घटनाग्रस्त हो गई, जिसमें गुजरात के सात तीर्थ यात्रियों की जान चली गई और 28 गंभीर घायल हुए। 

अब बीते मंगलवार को गंगोत्री धाम से दर्शन कर लौट रहे तीर्थयात्रियों की बस इसी मोड़ पर अनियंत्रित होने के बाद खाई में पलट गई। बस में चालक-परिचालक समेत 29 लोग सवार थे। इनमें तीन की मौत हो गई, जबकि 26 घायल हैं। छह घायलों की हालत गंभीर बनी हुई है। 

तो गनीमत रही कि बस एक पेड़ से अटकने के चलते 50 मीटर नीचे बह रही भागीरथी में नहीं गिरी, वरना मौत का आंकड़ा बढ़ भी सकता था। 

हादसा रोकने को सुरक्षा दीवार बनाने व सड़क चौड़ी करने की जरूरत

संभागीय परिवहन अधिकारी जितेंद्र सिंह और लोनिवि के ईई पंकज अग्रवाल सहित पांच सदस्यीय टीम ने बुधवार को दुर्घटनाग्रस्त बस व दुर्घटनास्थल का निरीक्षण किया। संभागीय परिवहन अधिकारी ने बताया कि सड़क पर टायर के निशान नहीं मिले और ब्रेक फेल होने जैसी कोई स्थिति भी नजर नहीं आई। 

बताया कि दुर्घटनास्थल पर लंबा स्लोप है, जिससे गंगोत्री से लौटने वाले वाहनों की गति बढ़ जाती है, साथ ही तीखा मोड़ भी है। इसके अलावा डबल कटिंग भी है। ऐसे में हो सकता है कि चालक बस की गति पर नियंत्रण न रख पाया हो। 

संभागीय परिवहन अधिकारी ने बताया कि गंगनानी के पास जो भी दुर्घटनाएं हुई हैं, वे गंगोत्री से लौटते समय हुईं। एक वर्ष के अंतराल में दो बड़ी दुर्घटनाएं हुई हैं। बीते वर्ष की दुर्घटना में भी क्रैश बैरियर टूटा और इस बार भी। इसलिए इस स्थान पर क्रैश बैरियर के अलावा अन्य सुरक्षा इंतजाम करने की जरूरत है। 

उन्होंने कहा कि यहां सुरक्षा दीवार बनाई जा सकती है। साथ ही पहाड़ी की कटिंग भी की जा सकती है। उन्होंने कहा कि यहां सड़क को चौड़ा करने की पर्याप्त संभावना है। गति नियंत्रण के लिए क्षेत्र में रंबल स्ट्रिप या रंबल स्टिकर लगाने की जरूरत बताई। इसके अलावा दुर्घटना वाले 300 मीटर क्षेत्र में पीली पट्टी भी लगाई जा सकती है।

चारधाम परियोजना के तहत हाईवे का चौड़ीकरण होना है। गंगनानी के पास जिस स्थान पर हादसा हुआ, वहां क्रैश बैरियर क्षतिग्रस्त हुआ है, उसे सही किया जाएगा। स्पीड ब्रेकर लगाने पर भी विचार किया जा रहा है। 

-विवेक श्रीवास्तव, कमांडर, सीमा सड़क संगठन, उत्तरकाशी