सुरंग में फंसी 40 जिंदगियों को बचाने दिल्ली से आया सेना का यह विमान, एक फिर संकटमोचक होगा साबित!
वर्ष 2013 की आपदा में जब सड़क मार्ग अवरुद्ध हो गए थे तो हरक्यूलिस विमान से जगह-जगह फंसे तीर्थयात्रियों को रेस्क्यू कर दिल्ली छोड़ा गया था। साथ ही रसद की आपूर्ति चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी तक की गई थी लेकिन इतने वर्षों बाद भी सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर सुविधाओं का विस्तार नहीं किया गया। फंसे श्रमिकों को बचाने के लिए चल रहे रेस्क्यू में वायु सेना की...
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। वर्ष 2013 की आपदा के बाद वायु सेना का मालवाहक विमान हरक्यूलिस फिर से संकटमोचन की भूमिका में है। बीते बुधवार को संकरी और छोटी हवाई पट्टी में भी हरक्यूलिस ने बेहद चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में लैंडिंग की है।
सूत्रों के अनुसार, यह काफी जोखिम पूर्ण कार्य था। जिसके कारण शुक्रवार की रात को वायु सेना ने हरक्यूलिस विमान की सुरक्षित लैंडिंग चिन्यालीसौड़ के बजाय जौलीग्रांट एयरपोर्ट को प्राथमिकता दी। चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर सबसे बड़ी चुनौती एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) को लेकर भी है।
2013 के बाद दिल्ली में था हरक्यूलिस विमान
वर्ष 2013 की आपदा में जब सड़क मार्ग अवरुद्ध हो गए थे तो हरक्यूलिस विमान से जगह-जगह फंसे तीर्थयात्रियों को रेस्क्यू कर दिल्ली छोड़ा गया था। साथ ही रसद की आपूर्ति चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी तक की गई थी लेकिन इतने वर्षों बाद भी सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर सुविधाओं का विस्तार नहीं किया गया।
चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी 1165 मीटर लंबी और तीस मीटर चौड़ी है। अब सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को बचाने के लिए चल रहे रेस्क्यू में वायु सेना की टीम और हरक्यूलिस विमान की भूमिका महत्वपूर्ण बनी हुई है। सिलक्यारा से 32 किलोमीटर दूर चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर बीते बुधवार को तीन हरक्यूलिस विमान से 25 टन भरी अमेरिकन ऑगर मशीन के पार्टस पहुंचाए गए। परंतु, वायु सेना की टीम को एटीएफ से लेकर अन्य सुविधाओं के लिए जूझना पड़ा। रात्रि विश्राम के लिए चिन्यालीसौड़ से 20 किलोमीटर दूर मातली जाना पड़ा।
मशीन उतारने के लिए बनाया गया मिट्टी का रैंप
इसके अलावा चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर हरक्यूलिस विमान को अनलोड करने में भी लंबा समय लगा। एक विमान से मुख्य मशीन को अनलोड करने में करीब सात घंटे का समय लगा। मशीन उतारने के लिए मिट्टी का रैंप बनाया गया। तब जाकर किसी तरह से मशीन उतारी गई इसलिए शुक्रवार को वायु सेना ने इंदौर से दूसरी ऑगर मशीन को पहुंचाने के लिए चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी के बजाय जौलीग्रांट एयरपोर्ट को चुना। कुल मिलाकर चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी हरक्यूलिस के नियमित संचालन के लिए अनुपयुक्त है।
उत्तरकाशी के जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर एटीएफ व अन्य सुविधाओं को लेकर कुछ दिक्कतें हैं। इसलिए वायु सेना ने जौलीग्रांट एयरपोर्ट को ही प्राथमिका दी है। रात आठ बजे के बाद इंदौर से नई ऑगर मशीन वायु सेना के हरक्यूलिस से जौलीग्रांट पहुंचाई जाएगी। रात को ही मशीन के पार्टस को ट्रक के जरिये उत्तरकाशी पहुंचाया जाएगा।
क्या है हरक्यूलिस
अमेरिका में निर्मित हरक्यूलिस चार इंजन टर्बोप्रॉप वाला सैन्य परिवहन विमान है। भारतीय वायुसेना इस विमान का उपयोग विभिन्न देशों में युद्ध आदि कारणों से फंसे अपने नागरिकों की सुरक्षित वतन वापसी के लिए करती रही है। इसके अलावा आपदा के दौरान भी इस विमान का प्रयोग किया जाता है।