सुरक्षित हिमालय योजना में अहम भागीदार बना उत्तराखंड का ये गांव, 8000 फीट की ऊंचाई पर पहाड़ों के खतरे को थामने का प्रयास
उत्तराखंड के उत्तरकाशी से 188 किमी दूर मोरी ब्लाक में समुद्रतल से आठ हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित दोणी ग्राम पंचायत हिमाचल प्रदेश की सीमा से सटी है। 193 परिवार वाली इस ग्राम पंचायत की आबादी 950 है। वर्ष 2019 में 25-वर्षीय अंकुश ने यहां प्रधान पद की जिम्मेदारी संभाली। तब यहां 50 परिवारों के पास अपने शौचालय नहीं थे। अंकुश ने इन्हें स्वच्छता का महत्व समझाया जिससे...
By Jagran NewsEdited By: riya.pandeyUpdated: Thu, 26 Oct 2023 06:37 PM (IST)
शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी। उत्तराखंड के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में भी कई जनप्रतिनिधि स्वच्छ भारत के सपने को साकार करने में जुटे हैं। इन्हीं में शामिल हैं सीमांत उत्तरकाशी जिले की ग्राम पंचायत दोणी के युवा प्रधान अंकुश सिंह सौंदाण। स्नातक तक शिक्षित अंकुश ने दृढ़ इच्छाशक्ति के बूते अपनी ग्राम पंचायत में स्वच्छता की नई परिभाषा गढ़ी है और यह संभव हो पाया सुरक्षित हिमालय परियोजना के सहयोग से। आज दोणी ग्राम पंचायत ओडीएफ बनने के साथ अपशिष्ट प्रबंधन में भी मिसाल कायम कर रही है।
आठ हजार फीट ऊंचाई पर बसा है दोणी गांव
जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 188 किमी दूर मोरी ब्लाक में समुद्रतल से आठ हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित दोणी ग्राम पंचायत हिमाचल प्रदेश की सीमा से सटी है। 193 परिवार वाली इस ग्राम पंचायत की आबादी 950 है। वर्ष 2019 में 25-वर्षीय अंकुश ने यहां प्रधान पद की जिम्मेदारी संभाली। तब यहां 50 परिवारों के पास अपने शौचालय नहीं थे।
अंकुश ने इन परिवारों को स्वच्छता का महत्व समझाया, जिससे प्रेरित होकर 32 परिवारों ने अपने संसाधन से शौचालय बना लिए। जबकि, 18 परिवार कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण शौचालय बनवाने में सक्षम नहीं थे। इनके लिए ग्राम पंचायत ने मनरेगा के तहत पांच सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण करवाया।
सुरक्षित हिमालय परियोजना का मिला साथ
ग्राम पंचायत में रास्तों, गदेरों के किनारे और सार्वजनिक स्थानों पर पालीथिन समेत अन्य कूड़ा बिखरा रहता था। अंकुश ने इस समस्या के समाधान को गोविंद वन्यजीव विहार क्षेत्र में काम कर रहे सुरक्षित हिमालय परियोजना के अधिकारियों से संपर्क साधा। इसके बाद परियोजना के साथ वेस्ट वारियर्स की टीम ने ग्राम पंचायत में स्वच्छता अभियान चलाया। साथ ही प्रतिदिन हर घर से कूड़ा एकत्र किया जाने लगा। इसके लिए प्रत्येक परिवार को दो बैग दिए जाते हैं। एक बैग में प्लास्टिक और दूसरे में अजैविक कचरा एकत्र किया जाता है।
कूड़ा प्रबंधन के साथ तीन व्यक्तियों को रोजगार
ग्रामीण भी पंचायत को स्वच्छ बनाने में पूरा सहयोग दे रहे हैं। वह गीले कूड़े का उपयोग खाद के रूप में करते हैं। अजैविक कूड़े को गांव के निकट वेस्ट बैंक में जमा किया जाता है। वहां कूड़े को छंटाई के बाद वेस्ट वारियर्स टीम के सहयोग से रिसाइकिलिंग के लिए देहरादून भेजा जाता है। इससे तीन व्यक्तियों को रोजगार भी मिल रहा है। इनमें से दो व्यक्तियों को सुरक्षित हिमालय परियोजना और एक को ग्राम पंचायत स्वच्छता बजट से मानदेय दिया जा रहा है। बीते दो वर्ष में प्लास्टिक, कांच की बोतल, टिन, स्टील, कपड़ा, कागज व गत्ते समेत 53 क्विंटल कूड़ा एकत्र किया गया।99 प्रतिशत भवन पारंपरिक
दोणी के ग्रामीणों का मुख्य व्यवसाय कृषि-बागवानी और पशुपालन है। उत्तराखंड के अधिकांश पर्वतीय गांव जहां पलायन का दंश झेलने को मजबूर हैं, वहीं इस ग्राम पंचायत से अब तक एक भी परिवार ने पलायन नहीं किया। गांव में 99 प्रतिशत भवन पारंपरिक एवं लकड़ी से बने हैं। देवदार की लकड़ी से बना एक भवन तो लगभग 400 वर्ष पुराना है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।