भारत चीन सीमा पर आइटीबीपी के साथ लंबी दूरी गश्त पर गए तीन पोर्टर लापता
लंबी दूरी गश्त को 15 अक्टूबर को तीन पोर्टरों के साथ आइटीबीपी की टीम भारत चीन सीमा स्थित नीला पानी चौकी से बार्डर के लिए रवाना हुई थी। इन पोर्टरों को 18 अक्टूबर को वापस लौटना था। 17 अक्टूबर को बर्फबारी होने से पोर्टर आइटीबीपी की टीम से बिछुड़ गए।
By Edited By: Updated: Wed, 20 Oct 2021 05:20 AM (IST)
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। भारत चीन सीमा पर लंबी दूरी गश्त (एलआरपी) टीम के साथ शामिल तीन पोर्टर वापसी के दौरान रास्ता भटक गए हैं। इन पोर्टरों को 18 अक्टूबर को वापस नीला पानी स्थित भारत तिब्बत सीमा पुलिस चौकी पर लौटना था। हालांकि बर्फबारी होने से 19 अक्टूबर की देर शाम तक इन पोर्टरों का कोई पता नहीं चल पाया है। भारत तिब्बत सीमा पुलिस ने इन पोर्टरों को तलाशने के लिए वायु सेना और राज्य आपदा प्रबंधन से मदद मांगी है, ताकि हेली के जरिये पोर्टरों की तलाश की जाए और उनका रेस्क्यू किया जा सके। इसके साथ ही नागा और नीला पानी चौकी से भी बुधवार की सुबह 20-20 आइटीबीपी जवानों की खोज बचाव टीम रवाना होंगी। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि आइटीबीपी की ओर से बार्डर क्षेत्र में तीन पोर्टरों के लापता होने की सूचना मिली है। आइटीबीपी की ओर से राज्य आपदा प्रबंधन से सहायता मांगी गई है।
लंबी दूरी गश्त के लिए 15 अक्टूबर को तीन पोर्टरों के साथ आइटीबीपी की टीम भारत चीन सीमा स्थित नीलापानी चौकी से बार्डर के लिए रवाना हुई थी। इस टीम के साथ उत्तरकाशी जनपद के तीन पोर्टर भी थे। गश्त के बाद टीम वापस लौटी। टीम के साथ पोर्टर भी वापस लौट रहे थे, लेकिन 17 अक्टूबर को बर्फबारी होने के कारण पोर्टर आइटीबीपी की टीम से बिछुड़ गए। आइटीबीपी की टीम ने पोर्टरों को तलाश करने के लिए 18 और 19 अक्टूबर को रेस्क्यू चलाया, लेकिन पोर्टरों का कोई पता नहीं चल पाया।
तीन पोर्टरों की तलाश के लिए 18 अक्टूबर को पांच अन्य पोर्टर को भी संसाधनों सहित भेजा गया है। उन पोर्टरों से भी आइटीबीपी की टीम का संपर्क नहीं हुआ है, लेकिन पांच पोर्टरों के पास संसाधन होने के कारण उनके सुरक्षित होने की उम्मीद है। अभी आइटीबीपी की पहली प्राथमिकता तीन पोर्टरों को तलाशने की है। मंगलवार की शाम को आइटीबीपी ने राज्य आपदा प्रबंधन से पोर्टरों की तलाश के लिए सहायता मांगी। हालांकि आपदा प्रबंधन के पास इस तरह के हेलीकाप्टर नहीं हैं, जो चार हजार मीटर से लेकर साढ़े चार हजार मीटर तक की ऊंचाई पर रेस्क्यू कर सकें।
आइटीबीपी के सूत्रों ने बताया कि उन्होंने पोर्टरों के रेस्क्यू के लिए वायु सेना से भी संपर्क किया है। वायु सेना का हेली मंगलवार शाम को जौलीग्रांट पहुंच चुका है। बुधवार को मौसम के साफ होने पर रेस्क्यू शुरू होगा। साथ ही दो खोज-बचाव टीमें पैदल भी रवाना होंगी।यह भी पढ़ें:- उत्तराखंड : हर्षिल छितकुल ट्रैक पर आठ पर्यटकों सहित ग्यारह लापता
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