उत्तराखंड: मजदूरों को बचाने के लिए देवी-देवताओं से भी प्रार्थना, सुरंग के बाहर बनाया गया बौखनाग देवता का मंदिर
Uttarakhand Tunnel Collapse पोलगांव बड़कोट की ओर से भी श्रमिकों को सकुशल बाहर निकालने की कामना को लेकर सुरंग के गेट के पास बौखनाग देवता का मंदिर भी स्थापित किया गया है। हॉरिजॉन्टल बोरिंग शुरू की गई है। फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए पांच सौ मीटर लंबी बोरिंग करनी होगी लेकिन इसमें एक सप्ताह के समय लगना तय है।
By Jagran NewsEdited By: riya.pandeyUpdated: Sun, 19 Nov 2023 03:53 PM (IST)
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। Uttarakhand Tunnel Collapse: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में चारधाम आलेवदर परियोजना की सिल्क्यारा-पोलगांव सुरंग में फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने के रेस्क्यू अभियान दिनों-दिन चुनौतीपूर्ण बन रहा है।
शनिवार को पीएमओ के सचिव मंगेश घिल्डियाल और पीएम के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे अपनी टीम के साथ उत्तरकाशी पहुंचे और सिल्क्यारा सुरंग में रेस्क्यू की कमान अपने हाथ में ली।
बौखनाग देवता के मंदिर की स्थापना
पोलगांव बड़कोट की ओर से भी श्रमिकों को सकुशल बाहर निकालने की कामना को लेकर सुरंग के गेट के पास बौखनाग देवता का मंदिर भी स्थापित किया गया है। हॉरिजॉन्टल बोरिंग शुरू की गई है। फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए पांच सौ मीटर लंबी बोरिंग करनी होगी, लेकिन इसमें एक सप्ताह के समय लगना तय है।प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने कहा कि सुरंग में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने में चार से पांच दिन का समय लगेगा। एक साथ सभी पांच विकल्पों पर काम शुरू कर दिया गया है। इस समय केवल लक्ष्य 41 श्रमिकों की जिंदगी बचाने का है। बताया जा रहा है कि श्रमिकों के खोज बचाव में अभी तक की धीमी प्रगति से पीएमओ चिंतित है।
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रेस्क्यू अभियान में शनिवार को तब कुछ तेजी दिखी जब पीएमओ से टीम पहुंची। इस टीम ने वैज्ञानिकों के साथ सिल्क्यारा सुरंग के आसपास की पहाड़ी का भी निरीक्षण। उन सभी स्थानों को देखा जहां से बोरिंग करके सुरंग के अंदर पहुंचा जा सकता है। शनिवार की शाम को वर्टिकल और होरिजेंटल बोरिंग की तैयारियों को लेकर काम भी शुरू किया गया।
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