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एडवेंचर के साथ प्रकृति को समझना है तो आप कर सकते हैं ट्री-ट्रैकिंग

माई एडवेंचर क्लब (मैक) की निदेशक शिवानी गुसाईं ने ट्री-ट्रैकिंग की शुरूआत की है। इसके तहत गंगोत्री से गोमुख तक पौधों का रोपण किया गया।

By Edited By: Updated: Wed, 20 Jun 2018 05:38 PM (IST)
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एडवेंचर के साथ प्रकृति को समझना है तो आप कर सकते हैं ट्री-ट्रैकिंग
उत्‍तरकाशी, [शैलेंद्र गोदियाल]: एडवेंचर के साथ प्रकृति को करीब से समझना है तो आप ट्री-ट्रैकिंग कर सकते हैं। इसकी शुरुआत की है माई एडवेंचर क्लब (मैक) की निदेशक शिवानी गुसाईं ने। शिवानी ने दिल्ली, मेरठ, हल्द्वानी व देहरादून के 35 युवाओं को गंगोत्री से गोमुख की ट्रैकिंग कराई और गोमुख ट्रैक के आसपास उच्च हिमालयी क्षेत्र में उगने वाली प्रजाति के पौधों का रोपण भी कराया और इसे नाम दिया ट्री ट्रैकिंग। शिवानी कहती हैं, 'अब वह हर वर्ष इसी तरह ट्रैकिंग दल लेकर गोमुख तक जाकर वहां पौधरोपण करेंगी। ताकि ट्रैकरों में प्रकृति के प्रति आत्मीयता बनी रहे।'

माई एडवेंचर क्लब (मैक) देहरादून की ओर से नौ जून को गोमुख-गंगोत्री वैली ट्रैकिंग व कैंपिंग के लिए 35 सदस्यों का दल रवाना हुआ। मैक की निदेशक शिवानी गुसाईं के नेतृत्व में इस दल ने गंगोत्री नेशनल पार्क क्षेत्र में गोमुख ट्रैक पर देवदार व भोजपत्र के 80 पौधों का रोपण किया। साथ ही गोमुख, भोजवासा व चीड़वासा से कूड़ा भी एकत्र किया।

शिवानी ने बताया कि इस ट्रैकिंग का उद्देश्य ट्रैकिंग व कैंपिंग के साथ ही 'गंगा बचाओ, पेड़ लगाओ, जीवन बचाओ' अभियान के प्रति जागरुकता पैदा कर पर्यटकों को प्रकृति के करीब ले जाना था। दल में विभिन्न क्षेत्रों से जो युवा शामिल हुए, वे उत्तराखंड के साथ-साथ गंगोत्री-गोमुख ट्रैक का पर्यटन एवं तीर्थाटन की दृष्टि से अपने-अपने क्षेत्रों में प्रचार-प्रसार करेंगे, ताकि देशभर से लोग पहाड़ों की ओर आने के लिए प्रेरित हों और यहां से देश-दुनिया को पर्यावरण सुरक्षा का संदेश जाए। शिवानी ने बताया कि वह वर्ष 2014 से केदारनाथ में ट्रैकिंग करा रही हैं, लेकिन गोमुख क्षेत्र में पहली बार दल लेकर आईं।

शिवानी को बचपन से ही था रोमांच का शौक

मूलरूप से पौड़ी जिले के कल्जीखाल ब्लाक में कफोलस्यूं गांव की रहने वाली शिवानी के पिता सुरेंद्र सिंह गुसाईं सेवानिवृत्त शिक्षक हैं और मां विजय लक्ष्मी गृहणीं। दो भाई और दो बहनों में शिवानी तीसरे नंबर की हैं। वह बताती है कि बचपन से ही उन्हें रोमांच का शौक था। वर्ष 2001 में आठ जनवरी को उन्होंने पहली बार पैराग्लाइडिंग की। तब उनकी उम्र 13 वर्ष थी। इस उपलब्धि के लिए उनका नाम लिम्का बुक में भी शामिल है। एमकॉम के बाद एमबीए की डिग्री हासिल कर शिवानी वर्तमान में महिला तकनीकी संस्थान देहरादून में कार्यरत हैं। वह  पैराग्लाइडिंग के साथ ही पर्वतारोहण, राफ्टिंग और स्कीइंग में भी कुशलता से कर लेती हैं। 

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