उत्तरकाशी के इस गांव में दो सौ परिवार के हर हाथ में है रोजगार, पढ़िए पूरी खबर
उत्तरकाशी के गौरशाली गांव में करीब 200 परिवार हैं और हर परिवार खेती-किसानी के स्वरोजगार से जुड़ा हुआ है। इनमें 80 फीसद परिवार पशुपालन व मुर्गी पालन भी करते हैं।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Fri, 06 Dec 2019 08:59 PM (IST)
उत्तरकाशी, शैलेंद्र गोदियाल। यह किसी एक व्यक्ति नहीं, बल्कि जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 42 किमी दूर स्थित गौरशाली गांव की खुशहाली की कहानी है। भोर से लेकर सांझ तक इस गांव के लोगों की अपनी अलग ही दिनचर्या है। गांव में करीब 200 परिवार हैं और हर परिवार खेती-किसानी के स्वरोजगार से जुड़ा हुआ है। इनमें 80 फीसद परिवार पशुपालन व मुर्गी पालन भी करते हैं।
गौरशाली गांव के ग्रामीणों के कर्मयोग ने न केवल इस गांव को संपन्नता प्रदान की, बल्कि औरों को भी उन्नति की राह दिखाई है। गांव में बदलाव वर्ष 2015 के बाद तब आया, जब वहां रिलायंस फाउंडेशन की टीम ने ग्रामीणों को खेती-किसानी की नई तकनीकी से परिचित कराया। साथ ही नकदी फसलें उगाने को भी प्रेरित किया। गौरशाली के 46-वर्षीय वीरेंद्र राणा बताते हैं कि वर्ष 2015 में रिलायंस फाउंडेशन ने गांव में छोटे साइज के 19 पॉलीहाउस लगाए। नगदी फसलों का अच्छा उत्पादन मिला तो ग्रामीणों ने स्वयं भी आठ बड़े पॉलीहाउस लगा दिए। इसके अलावा गांव से रोजाना सौ लीटर दूध दुग्ध संघ की आंचल डेयरी को जाता है। गांव के 52-वर्षीय जयपाल चौहान बताते हैं कि टमाटर, मटर, फूलगोभी, बंदगोभी, शिमला मिर्च व छप्पन कद्दू के अलावा आलू-मटर का भी बेहतर उत्पादन हो रहा है। उत्पादों का सही मूल्य मिलने से काश्तकारों को अच्छी गुणवत्ता वाला बीज भी मिल रहा है।
350 टन आलू, 60 टन मटर का उत्पादन
गौरशाली गांव में इस वर्ष 350 टन आलू की पैदावार हुई। जबकि बीते सीजन में 60 टन मटर पैदा हुआ था। गांव के 60-वर्षीय जयेंद्र राणा बताते हैं कि ग्रामीण अपने उत्पादों को सीधे देहरादून मंडी ले जाते हैं। कुछ ग्रामीणों के सरकारी सेवा में होने के कारण उनके परिवार गांव से बाहर रहते हैं। जबकि, गांव में रह रहे परिवार पूरी तरह खेती-किसानी को समर्पित हैं।
बीज के लिए नहीं फैलाते हाथ
रिलायंस फाउंडेशन उत्तरकाशी के परियोजना निदेशक कमलेश गुरुरानी बताते हैं कि गौरशाली के ग्रामीणों ने 'बांगसरिया नाग ग्राम कृषक समिति' का गठन किया हुआ है। समिति के खाते में वे अपने लाभांश का कुछ हिस्सा जमा करते हैं। यह धनराशि मंडी से उत्तम किस्म का बीज खरीदने में खर्च होती है और ग्रामीणों को सरकारी बीज आने का इंतजार नहीं करना पड़ता।
इस बार सर्दियों में कम हुई बारिश, कृषि और बागवानी में दिखने लगा असरपुरुषों की भी दिनचर्या बदलीगौरशाली में महिलाओं के साथ पुरुषों की दिनचर्या भी बदल गई है। महिलाएं सुबह गाय-भैंस का दूध निकालती हैं और पुरुष उसे डेयरी तक पहुंचाते हैं। महिलाएं खेतों में निराई-गुड़ाई को गई हैं तो पुरुष घर में भोजन तैयार करते हैं।
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