पर्यटन ग्राम के रूप में बढ़े कदम तो बदली उत्तराखंड के जखोल की तस्वीर, बना साहसिक पर्यटन का नया ठिकाना
Adventure Tourism उत्तराखंड के जखोल गांव ने पर्यटन ग्राम के रूप में अपनी पहचान बनाई है। साहसिक पर्यटन के लिए प्रसिद्ध इस गांव में देवक्यारा ट्रेक ताल-बुग्याल और पारंपरिक भवन पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। 17 होम स्टे और 200 से अधिक ग्रामीण पर्यटन व्यवसाय से जुड़े हैं। जखोल की लोक संस्कृति और देव उत्सव पर्यटकों को सम्मोहित करते हैं।
राधेकृष्ण उनियाल, जागरण
उत्तरकाशी। Adventure Tourism: आकांक्षी ब्लाक कार्यक्रम (एबीपी) के तहत चयनित उत्तरकाशी जिले के मोरी ब्लाक के जखोल गांव को साहसिक पर्यटन श्रेणी में राष्ट्रीय स्तर पर सर्वश्रेष्ट पर्यटन ग्राम का पुरस्कार मिलना भविष्य के लिए संभावनाओं के द्वार खोलने वाला है।
पिछले दस वर्षों में जखोल ने पर्यटन ग्राम के रूप कदम आगे बढ़ाए हैं। इस सुदूरवर्ती गांव और निकटवर्ती साहसिक पर्यटन के देवक्यारा ट्रेक सहित ताल-बुग्यालों तक पर्यटक पहुंचने लगे हैं।
पारंपरिक भवन शैली और लोक संस्कृति के लिए प्रसिद्ध इस गांव में होम स्टे भी संचालित हो रहे हैं।
समुद्रतल से करीब 2,500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित जखोल गांव की जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से दूरी 190 किमी है, जबकि देहरादून से 220 किमी। पिछले दस वर्ष के अंतराल में जखोल गांव ने पर्यटन के रूप में विशेष पहचान बनाई है। इसके लिए निजी और सरकारी स्तर से भी प्रयास हुए।
करीब 350 परिवार वाले जखोल गांव में लकड़ी के पारंपरिक भवन आकर्षित करते हैं। वर्तमान में यहां 17 होम स्टे पंजीकृत हैं। जखोल से तीन ट्रेक रूट भी हैं, जिन पर पर्यटकों की आवाजाही बढ़ी है। गांव के करीब 200 ग्रामीण पर्यटन व्यवसाय से भी जुड़े हैं। लोक संस्कृति और वर्षभर होने वाले देव उत्सव जखोल की सुंदरता में चार चांद लगाते हैं। प्रकृति की अद्भुत छटा तो पर्यटकों को सम्मोहित सा कर देती है।
जखोल में आषाढ़ के मेले और माघ में आयोजित होने वाला देवगति उत्सव खास होता हैं। पट्टी अडोर, बड़ासू और पंचगाई के 22 गांवों के केंद्र इस गांव में सेब के बागीचों के पास बने लकड़ी की सुंदर नक्काशी वाले घर पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
कृषि और पशुपालन यहां के ग्रामीणों का मुख्य व्यवसाय है। यह गांव मोरी क्षेत्र के बड़े गांवों में शामिल है। यहां की सांस्कृतिक विरासत और परंपराओं के दर्शन को भी पर्यटक दूर-दूर से आते हैं। गांव के महिला व पुरुष आज भी अपने पारंपरिक वस्त्र ही धारण करते हैं। पर्यटक यहां विलेज टूर के साथ-साथ कैंपिंग, हाइकिंग, बर्ड वाचिंग, ट्रेकिंग और फोटोग्राफी के लिए पहुंचते हैं।
पिछले कुछ वर्षों में जखोल पर्यटन गांव के रूप में विकसित हुआ है। इसे पर्यटन गांव बनाने में सरकार और ग्रामवासियों का बड़ा सहयोग रहा। साहसिक पर्यटन श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांव का पुरस्कार मिलना प्रत्येक ग्रामवासी का सम्मान है।
- विनोद कुमार, प्रधान, ग्राम पंचायत जखोल