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Uttarakhand Tunnel Collapse: पाइप से गूंजने वाली हर आवाज बंधा रही श्रमिकों को आस, जल्द अपनों से होगी मुलाकात

Uttarakhand Tunnel Collapse सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों के लिए चार इंच व्यास का 70 मीटर लंबा स्टील पाइप वरदान साबित हो रहा है। सबसे अहम बात यह कि इसी पाइप के जरिये श्रमिकों ने उन्हें सकुशल बाहर निकालने के लिए युद्धस्तर पर खोज-बचाव अभियान चलाने संबंधी उम्मीद भरी आवाज सुनी। साथ ही स्वजन को भी भरोसा दिया कि वह पूरी तरह सुरक्षित हैं।

By Jagran NewsEdited By: Swati SinghUpdated: Tue, 21 Nov 2023 02:47 PM (IST)
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सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों से पाइप के जरिए इस तरह से संवाद किया जा रहा है। जागरण
शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी। चारधाम ऑल वेदर रोड परियोजना की सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों के लिए चार इंच व्यास का 70 मीटर लंबा स्टील पाइप वरदान साबित हो रहा है। यह वही पाइप है, जिसके जरिये पहली बार 12 नवंबर की शाम श्रमिकों ने सुरंग से पानी बाहर छोड़कर स्वयं के सुरक्षित होने का संकेत दिया। इसके बाद से ऑक्सीजन व रसद के साथ जीवन रक्षा के लिए जरूरी दवाएं भी इसी पाइप से श्रमिकों तक पहुंचाई जा रही हैं।

सबसे अहम बात यह कि इसी पाइप के जरिये श्रमिकों ने उन्हें सकुशल बाहर निकालने के लिए युद्धस्तर पर खोज-बचाव अभियान चलाने संबंधी उम्मीद भरी आवाज सुनी। साथ ही स्वजन को भी भरोसा दिया कि वह पूरी तरह सुरक्षित हैं। सिलक्यारा सुरंग के जिस हिस्से में भूस्खलन जोन बना है, वहां पानी की निकासी के लिए डाला गया पाइप श्रमिकों के लिए लाइफ लाइन बन गया है।

जीवन के प्रति आस बांध रही आवाज

भले ही सोमवार शाम श्रमिकों को भोजन समेत अन्य जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए खोज-बचाव टीम ने छह इंच व्यास का स्टील पाइप सुरंग के अंदर पहुंचा दिया हो, लेकिन बीते नौ दिन से इसी पाइप के जरिये कानों में पड़ने वाली आवाज उनमें जीवन के प्रति आस बंधाती रही। सकुशल बाहर निकालने का भरोसा जगाती रही।

दीपावली को हुआ था हादसा

बीते 12 नवंबर की सुबह जब सुरंग में कैविटी खुलने से भारी भूस्खलन हुआ तो आठ राज्यों के 41 श्रमिक अंदर ही फंस गए। करीब 12 घंटे तो उनसे संपर्क ही नहीं हो पाया। उसी दिन देर शाम सुरंग में फंसे कोटद्वार निवासी गब्बर सिंह नेगी ने जब पहले से बिछे चार इंच मोटे स्टील पाइप से बाहर पानी छोड़ा तो यह देख खोज-बचाव टीम को उनसे संपर्क साधने का जरिया मिल गया।

श्रमिकों के लिए उम्मीद की किरण है एक पाइप

तब से सोमवार तक इसी पाइप के जरिये ऑक्सीजन, रसद व जरूरी दवाएं सुरंग में पहुंचाई जा रही है। वहां कैद श्रमिकों से खोज-बचाव टीम और स्वजन का संवाद भी इसी पाइप से हो रहा है। डा. प्रेम पोखरियाल रोजाना इसी से श्रमिकों का हालचाल पूछते हैं और उन्हें जरूरी सलाह भी देते हैं।

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आवाज सुनकर मिलती है राहत

डा. पोखरियाल बताते हैं कि पाइप पर मुंह लगाकर तेजी से अपनी बात बोलनी पड़ती है, तब आवाज दूसरी ओर पहुंचती है। श्रमिकों का जवाब या उनकी बात सुनने के लिए कान को पाइप से सटाना पड़ता है। आवाज हल्की आती है, लेकिन स्पष्ट सुनाई देती है। कुल मिलाकर पाइप से गूंजने वाली आवाज में ही श्रमिकों की आस और उम्मीद की डोर बंधी है।

पाइप बने हैं जिंदगी की आस

जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला कहते हैं कि बीते नौ दिन से चार इंच मोटे पाइप से कंप्रेसर के जरिये दबाव बनाकर मुरमुरे, ड्राई फ्रूट्स, चना-चबैना श्रमिकों तक भेजा जा रहा है। डेढ़ से दो घंटे के अंतराल में श्रमिकों से संवाद होता है। सुरंग के बाहर पाइप के पास एक कर्मचारी भी तैनात किया गया है, जो श्रमिकों की ओर से आने वाले संदेश को प्रशासन और खोज-बचाव टीम तक पहुंचाता है।

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