Uttarakhand Tunnel Collapse: सुरंग से बोले गब्बर, बेटा घबराना मत... जल्द बाहर आएंगे
Uttarakhand Tunnel Collapse रविवार सुबह जब सुरंग में भूस्खलन हुआ वह भी श्रमिकों के साथ अंदर मौजूद थे। सुरंग में फंसे होने के बावजूद गब्बर अपनी जिम्मेदारी नहीं भूले हैं। इस नाजुक परिस्थिति में वह श्रमिकों का हौसला बढ़ा रहे हैं। इधर दुर्घटना के बारे में पता चलने के बाद से उनके स्वजन की सांसें भी अटकी हुई हैं।
By Jagran NewsEdited By: Swati SinghUpdated: Wed, 15 Nov 2023 12:49 PM (IST)
शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी। 'बेटा, घबराना मत। मैं सुरंग में अकेला नहीं हूं। जैसे ही बाहर निकलने का रास्ता बन जाएगा, सभी श्रमिकों को सकुशल निकालने के बाद मैं भी बाहर आ जाऊंगा। इनकी (श्रमिकों की) सुरक्षा भी मेरी जिम्मेदारी है।' ये शब्द हैं सिलक्यारा सुरंग में श्रमिकों के साथ तीन दिन से फंसे गब्बर सिंह नेगी के।
गब्बर सिंह नेगी ने ये बातें मंगलवार को अपने बेटे से वॉकी-टॉकी के जरिये हुई बातचीत के दौरान कहे। ये शब्द सुनकर बेटा आकाश भावुक हो गया, लेकिन अगले ही पल पिता की बहादुरी ने उसका सीना गर्व से चौड़ा कर दिया। उत्तराखंड के विशनपुर (कोटद्वार) निवासी गब्बर सिंह सिलक्यारा सुरंग का निर्माण कर रही नवयुग कंस्ट्रक्शन कंपनी में फोरमैन हैं।
श्रमिकों का हौसला बढ़ा रहे हैं गब्बर
रविवार सुबह जब सुरंग में भूस्खलन हुआ, वह भी श्रमिकों के साथ अंदर मौजूद थे। सुरंग में फंसे होने के बावजूद गब्बर अपनी जिम्मेदारी नहीं भूले हैं। इस नाजुक परिस्थिति में वह श्रमिकों का हौसला बढ़ा रहे हैं। इधर, दुर्घटना के बारे में पता चलने के बाद से उनके स्वजन की सांसें भी अटकी हुई हैं। वह गब्बर व श्रमिकों के सकुशल बाहर आने के लिए ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं।यह भी पढ़ें: Uttarakhand Tunnel Collapse Live Updates: युद्धस्तर पर चल रहे रेस्क्यू मिशन के बीच अचानक शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन, IAF ला रही है नई मशीन
18 साल का बेटा कर रहा इंतजार
गब्बर सिंह का 18 वर्षीय बेटा आकाश सोमवार रात ही पिता के शीघ्र सुरंग से बाहर आने की उम्मीद लेकर ताऊ तीर्थ सिंह नेगी और चाचा प्रेम सिंह नेगी के साथ सिलक्यारा पहुंच गया। मंगलवार सुबह उसने सुरक्षाकर्मियों और कंपनी के अधिकारियों से पिता से बात कराने की मांग की। कुछ देर बाद जब पुलिस उपाधीक्षक प्रशांत कुमार मौके पर पहुंचे तो वह आकाश को पिता से बात कराने के लिए सुरंग के भीतर लेकर गए। वहां वॉकी-टॉकी के माध्यम से आकाश ने पिता से बात की।घबराने की नहीं है जरूरत
गब्बर सिंह ने आकाश को बताया कि कंपनी के अधिकारियों से उनकी लगातार बात हो रही है। राहत एवं बचाव कार्य की भी जानकारी मिल रही है। घबराने की जरूरत नहीं है। जैसे ही रास्ता बन जाएगा, सभी श्रमिकों को सकुशल निकालने के बाद वह भी बाहर आ जाएंगे। पिता से बात करने के बाद सुरंग से बाहर आते हुए आकाश के चेहरे पर संतोष और गर्व के भाव साफ नजर आ रहे थे। संतोष, पिता की सलामती का था और गर्व इस बात का कि मुसीबत में भी पिता को साथी श्रमिकों की जान की फिक्र है।
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