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Uttarakhand Tunnel Collapse: जज्बे को सलाम, रेस्क्यू में आई बाधा को श्रमिकों ने ऐसे किया पार; सीएम भी हुए मुरीद

Uttarakhand Tunnel Collapse उत्तरकाशी टनल हादसे में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। गुरुवार को उम्मीद थी कि 41 मजदूर बाहर आ जाएंगे लेकिन अचानक ऑपरेशन में बाधा आ गई। ऐसे विकट समय में ट्रेंचलेस इंजीनियरिंग सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के श्रमिक आगे आए और जान की परवाह किए बिना पाइप के भीतर घुस गए।

By Jagran NewsEdited By: Swati SinghUpdated: Fri, 24 Nov 2023 01:29 PM (IST)
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सिलक्यारा सुरंग के आसपास लोगों की भीड़ है
जागरण संवाददता, उत्तरकाशी। सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को निकालने के लिए जारी बचाव अभियान में 11वें दिन यानी बुधवार को निर्णायक माना जा रहा था। ऑगर मशीन अनवरत ड्रिलिंग कर निकास सुरंग के लिए 800 मिमी व्यास के छह-छह मीटर लंबे पाइप एक-एक कर भीतर दाखिल कर रही थी।पूरी उम्मीद थी कि मध्य रात्रि तक सभी श्रमिकों को सकुशल निकाल लिया जाएगा। लेकिन, रात करीब साढ़े 12 बजे कुछ ऐसा हुआ, जिसने इंतजार की घड़ी को और लंबा कर दिया।

मलबे में दबे कई सरिया और कठोर धातु के टुकड़े सुरंग में दाखिल किए जा रहे पाइप के अगले भाग को चीरते हुए जोरदार आवाज के साथ भीतर घुस गए। इससे पाइप का अगला हिस्सा मुड़ गया और ड्रिलिंग रोकनी पड़ी।

टीइएसपीएल के श्रमिकों ने संभाला मोर्चा

ऐसे विकट समय में ट्रेंचलेस इंजीनियरिंग सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के श्रमिक आगे आए और जान की परवाह किए बिना पाइप के भीतर घुस गए। करीब पांच घंटे की अथक मेहनत के बाद श्रमिकों ने गैस कटर से लोहे के अवरोधों को काट डाला।ड्रिलिंग के दौरान निकास सुरंग के पाइप में फंसे धातु के अवरोधों को काटने का काम ट्रेंचलेस इंजीनियरिंग सर्विसेज के श्रमिक प्रवीण यादव और बलविंदर ने किया।

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जान की परवाह किए बिना कर रहे काम

पाइप के भीतर जाकर गैस कटर से धातु के अवरोधों को काटने का काम आसान नहीं था। क्योंकि, पाइप के भीतर ऑक्सीजन की वैसे ही कमी थी, ऐसे में गैस कटर से निकलने वाला धुआं परेशानी बढ़ा रहा था। इसके बावजूद श्रमिक जान की परवाह किए बिना लगातार काम करते रहे और पांच घंटे के भारी परिश्रम के बाद गुरुवार सुबह पाइप की राह के अवरोधों को काट दिया।

सीएम धामी ने की साहस की प्रशंसा

साथ ही पाइप के आगे के मुड़े हुए हिस्से को भी काटकर दुरुस्त कर दिया गया। सिलक्यारा में सुरंग में फंसे श्रमिकों और अभियान का जायजा लेने पहुंचे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी प्रवीण और बलविंदर के साहस की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि इस अभियान में श्रमिकों के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।

पाइप काटने वाले दोनों श्रमिकों का किया उपचार

पाइप के भीतर बेहद कम आक्सीजन में गैस कटर से धातुओं को काटने के दौरान प्रवीण और बलविंदर की तबीयत बिगड़ गई थी। उन्होंने किसी तरह खुद को संभाला और काम पूरा किया। हालांकि, स्वच्छ हवा की कमी के चलते उनका शरीर शिथिल पड़ गया था।

दोनों पाइप से बाहर आने के बाद अर्द्ध बेहोशी की स्थिति में पहुंच गए, उन्हें सिलक्यारा में बनाए गए अस्थायी अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। हालांकि, प्राथमिक उपचार के बाद प्रवीण और बलविंदर दोबारा सुरंग में दाखिल होकर बचाव कार्य में जुट गए।

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