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Uttarakhand Tunnel Rescue: श्रमिकों को बचाने के लिए बचाव एजेंसियों ने झोंकी पूरी ताकत, सुरंग निर्माण कंपनी से मंगाई डिजायन; लेकिन ये है समस्या

श्रमिकों को बचाने के लिए बचाव एजेंसियों ने पूरी ताकत झोंकी। लेकिन कुछ समस्यएं भी आड़े आ रही हैं। शुक्रवार रात औगर मशीन के क्षतिग्रस्त होने के बाद शनिवार सुबह सुरंग की ऊपरी पहाड़ी से वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड (एसजेवीएनएल) ने सिलक्यारा घटनास्थल पर खड़ी पाइल ड्रिलिंग मशीन को पहाड़ी पर पहुंचाने का काम शुरू कर दिया।

By Jagran NewsEdited By: Jeet KumarUpdated: Sun, 26 Nov 2023 05:00 AM (IST)
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श्रमिकों को बचाने के लिए बचाव एजेंसियों ने झोंकी पूरी ताकत
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। सुरंग में फंसे श्रमिकों को सकुशल बाहर निकालने के लिए बनाई जाने वाली होरिजांटल निकासी सुरंग में औगर मशीन के असफल होने के बाद अब विकल्प के तौर पर वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए बचाव एजेंसियों ने ताकत झोंक दी है।

शुक्रवार रात औगर मशीन के क्षतिग्रस्त होने के बाद शनिवार सुबह सुरंग की ऊपरी पहाड़ी से वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड (एसजेवीएनएल) ने सिलक्यारा घटनास्थल पर खड़ी पाइल ड्रिलिंग मशीन को पहाड़ी पर पहुंचाने का काम शुरू कर दिया।

सुरंग में भारी कंपन्न होने लगा

बताया गया कि इसी दौरान सुरंग में भारी कंपन्न होने लगा, जिस कारण मशीन को रोकना पड़ा। हालांकि, बाद में इसे धीमी चाल के साथ चलाकर पहाड़ी पर बनाए गए बेंच पर स्थापित कर दिया गया। मशीन के सहायक पार्ट व ड्रिल कराने वाली चार से पांच पाइल को पहुंचाने का काम भी पूरा कर लिया गया। इन पाइल को ही ड्रिल कर वर्टिकल (लंबवत) निकासी सुरंग तैयार की जानी है।

शनिवार को दोपहर बाद जब वर्टिकल ड्रिलिंग की भारी-भरकम मशीन को सुरंग के ऊपर पहाड़ी पर पहुंचाया जा रहा था, तब सुरंग के भीतर भारी कंपन्न महसूस किया गया। उस समय ड्रिलिंग मशीन पहाड़ी पर बनाई गई 1200 मीटर लंबी वैकल्पिक सड़क से करीब 300 मीटर पीछे थी। सुरंग में काम कर रहे तकनीकी कार्मिकों ने कंपन्न महसूस किया। इसके बाद मशीन के ऑपरेटर को कॉल कर संचालन बंद करने को कहा गया। हालांकि, बाद में बेहद धीमी चाल के साथ मशीन को पहाड़ी पर बनाए गए बेंच तक पहुंचाया गया।

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निर्माण कंपनी से डिजाइन मांगा गया है

एसजेवीएनएल के महाप्रबंधक जसवंत कपूर व अक्षय आचार्य के मुताबिक 1.2 मीटर व्यास की ड्रिलिंग पहाड़ी के ऊपर चैनेज 300 से की जाएगी। जिसकी गहराई 88 मीटर के करीब होगी। यह लंबवत सुरंग मुख्य सुरंग के उस हिस्से के पास आरपार होगी, जहां श्रमिक फंसे हैं। आरपार की स्थिति में सुरंग की छत पर बने लोहे के ढांचे के साथ टकराव न हो, इसके लिए निर्माण कंपनी से डिजाइन को मंगाकर पूरा प्लान तैयार किया गया है। यदि कहीं हल्की बाधा आती है तो उसे आसानी से पार कर लिया जाएगा।

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सुरंग के मुहाने के ऊपर दिखे पानी के निशान

शनिवार को इस तरह की बात भी सामने आई कि सुरंग के मुहाने के ऊपर राक बोल्टिंग वाले पक्के हिस्से पर पानी के निशान दिख रहे हैं। यह भी कहा गया कि कुछ दिन पहले तक ऐसी स्थिति नहीं थी। हालांकि, इस स्थिति को असमान्य या सामान्य माने जाने को लेकर किसी भी स्तर से पुष्टि नहीं की जा सकी है। वैसे यह बात जरूर है कि सुरंग के ऊपर पहाड़ी पर एक छोटा गदेरा है, जिसमें अलप मात्रा में पानी का बहाव है। बहुत संभव है कि यह पानी उसी गदेरे से सीधे तौर पर है जमीन के भीतर रिसकर पहुंच रहा हो।

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