Uttarkashi Avalanche: आखिर कैसे आया द्रौपदी का डांडा में एवलांच? इसके कारणों को लेकर विज्ञानियों में छिड़ी बहस
Uttarkashi Avalanche एवलांच की चपेट में निम के पर्वतारोहियों के आने की घटना के बाद विज्ञानियों में बहस छिड़ गई है। विज्ञानियों के अनुसार यह भी संभव है कि हैंगिंग स्नो हैंगिंग ग्लेशियर ने एवलांच का रूप लिया हो।
By Jagran NewsEdited By: Sunil NegiUpdated: Fri, 07 Oct 2022 10:26 PM (IST)
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी: Uttarkashi Avalanche: उत्तरकाशी जिले के द्रौपदी का डांडा में निम के पर्वतारोही दल के एवलांच की चपेट में आने के कारणों को लेकर विज्ञानियों में नई बहस छिड़ गई है।
एवलांच के एक नहीं, कई कारण
वैसे तो उच्च हिमालयी क्षेत्र में एवलांच आना एक सामान्य घटना है, लेकिन विज्ञानी इसे लेकर मंथन कर रहे हैं कि पर्वतारोही दल को चपेट में लेने वाला एवलांच किस वजह से आया। अधिकतर विज्ञानियों का यही मानना है कि इसके एक नहीं, कई कारण हैं।
दो अक्टूबर की सुबह आया था भूकंप
दो अक्टूबर की सुबह उत्तरकाशी में 2.5 तीव्रता का भूकंप भी आया था और चार अक्टूबर को यह घटना घटी। लेकिन, इस भूकंप का केंद्र उत्तरकाशी का नाल्ड गांव था, जबकि डीकेडी की हवाई दूरी यहां से लगभग 25 किमी है। बावजूद इसके कुछ लोग एवलांच की घटना को भूकंप की घटना से जोड़कर देख रहे हैं।
- वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के विज्ञानी डा. मनीष मेहता का कहना है कि भूकंप की घटना दो दिन पहले की है। ऐसे में यह संभावना कम है कि इतने सूक्ष्म भूकंप से दो दिन बाद एवलांच आया होगा।
इस बार लगातार हो रही है बर्फबारी
महत्वपूर्ण यह कि उच्च हिमालयी क्षेत्र में इस बार लगातार बर्फबारी हो रही है। मौसम में तेज उतार-चढ़ाव के चलते ताजा बर्फ टिक नहीं पा रही और एवलांच में रूप में खिसक रही है। इस तरह के एवलांच को पाउडर एवलांच कहा जाता है, क्योंकि यह पाउडर की तरह होता है।हैंगिंग स्नो, हैंगिंग ग्लेशियर ने लिया एवलांच का रूप
वाडिया के ही पूर्व विज्ञानी डा. पीएस नेगी कहते हैं कि डीकेडी क्षेत्र में उन्होंने काफी शोध किया है। लेकिन, एवलांच से इतनी बड़ी दुर्घटना पहली बार घटी। हिमस्खलन का कारण संबंधित क्षेत्र की भू-आकृति, भू-कंपन, आवाज, तापमान, जलवायु परिवर्तन व जंगली जनवारों का विचरण भी हो सकता है। जिससे हैंगिंग स्नो, हैंगिंग ग्लेशियर ने हिमस्खलन का रूप लिया।
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