ग्राम प्रधान तनुजा चौहान ने बदली उत्तरकाशी के थाती गांव की तस्वीर, दृढ़ इच्छाशक्ति से लिखी स्वच्छता की इबारत
Uttarkashi News दृढ़ इच्छा शक्ति के बूते तनुजा चौहान ने गांव की दशा सुधारने का संकल्प लिया और ग्रामीण विकास योजनाओं को कार्यान्वित करने पर विशेष ध्यान दिया। डुंडा ब्लाक के अंतर्गत थाती गांव स्वच्छ भारत मिशन के तहत मिसाल रूप में जाना जाता है।
By Shailendra prasadEdited By: Nirmala BohraUpdated: Fri, 02 Dec 2022 11:58 AM (IST)
शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी : Uttarkashi News : महात्मा गांधी ने कहा था, ‘भारत की आत्मा गांव में बसती है।’ आज भी गांव में सभ्यता व संस्कृति के साथ प्राकृतिक सुंदरता भी विद्यमान है।
पंचायती राज व्यवस्था में आज भी कुछ जनप्रतिनिधि गांधीजी के वक्तव्य की मौलिकता को साकार रूप देकर उनके सपनों का गांव बनाने में जुटे हैं। ऐसे ही जनप्रतिनिधियों में शामिल है सीमांत उत्तरकाशी जिले के थाती गांव की प्रधान तनुजा चौहान।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत मिसाल रूप में जाना जाता है गांव
दृढ़ इच्छा शक्ति के बूते तनुजा चौहान ने गांव की दशा सुधारने का संकल्प लिया और ग्रामीण विकास योजनाओं को कार्यान्वित करने पर विशेष ध्यान दिया। इससे गांव की तस्वीर ही बदल गई। जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 30 किमी दूर डुंडा ब्लाक के अंतर्गत आने वाला थाती गांव स्वच्छ भारत मिशन के तहत एक मिसाल रूप में जाना जाता है।400 परिवार और 1200 की आबादी वाले इस गांव में महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक है। यह गांव अनुसूचित जाति बहुल गांव में भी शामिल है। वर्ष 2019 में तनुजा चौहान ने प्रधान निर्वाचित होते ही गांव की तस्वीर बदलनी शुरू की। कोविड काल में गांव लौटे प्रवासियों को रोजगार देने के साथ गांव में विकास कार्य निरंतर जारी रहे।
गंदे पानी की निकासी को बिछाई पीवीसी लाइन
स्वच्छता को लेकर थाती गांव में बेहतर कार्य हुए हैं। पहले यहां हर परिवार के किचन और बाथरूम का पानी सीधे रास्तों में बहता था, जिससे गांव में गंदगी फैल रही थी। वर्षाकाल के दौरान रास्ते कीचड़ से सने रहते थे। इससे आए दिन विवाद की स्थिति हो जाती थी। इसी समस्या के समाधान को प्रधान तनुजा ने ग्रामीणों को अपने घरों में सोख्ता पिट बनाने के लिए प्रेरित किया।साथ ही अनुसूचित जाति बहुल क्षेत्र के घरों के किचन व बाथरूम के गंदे पानी की निकासी के लिए पीवीसी पाइप लाइन बिछाकर गांव के दूर बड़ा सोख्ता गड्ढा बनाया गया। जिन रास्तों पर कीचड़ रहता था, वहां इंटरलाकिंग टाइल्स बिछाई गई।सुरक्षा के लिए रेलिंग और रेलिंग पर सजावटी पौधों के गमले लगवाए गए। वर्षाजल की निकासी के लिए रास्तों के किनारे नाली का निर्माण भी कराया गया। इसके बाद गांव के रास्तों में गंदे पानी और कीचड़ की समस्या से पूरी तरह निजात मिल गई है। गांव में अब सब मेल-मिलाप से रहते हैं।
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