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Uttarkashi Tunnel : श्रमिकों को निकालने के लिए 18 मीटर निकासी सुरंग तैयार, अभी 30 से 35 घंटे और...

Uttarakhand News 110 घंटे से भी अधिक समय से सुरंग के भीतर फंसे 40 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए अभी 30 से 35 घंटे का समय और लग सकता है। उत्तरकाशी के जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि मलबे में ड्रिल करने और छह मीटर लंबे पाइप को धकेलने में करीब डेढ़ घंटे लग रहा है।

By Ankur AgarwalEdited By: Mohammed AmmarUpdated: Fri, 17 Nov 2023 12:51 AM (IST)
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Uttarkashi Tunnel : श्रमिकों को निकालने के लिए 18 मीटर निकासी सुरंग तैयार, अभी 30 से 35 घंटे और...

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी: चारधाम आलवेदर रोड परियोजना के अंतर्गत उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सुरंग में भूस्खलन के बाद पांच दिन से फंसे 40 श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिए अस्थायी निकासी सुरंग बनाने का काम गुरुवार को शुरू हो गया। निकासी सुरंग बनाने में पिछले दो दिन से आ रही तकनीकी अड़चनों के बाद दिल्ली से मंगाई गई उच्च क्षमता की ड्रिलिंग मशीन (अमेरिकन औगर) से देर रात तक 900 मिमी व्यास के छह मीटर लंबे तीन पाइप बिछा दिए गए।

उप जिलाधिकारी बड़कोट मुकेश रमोला ने बताया कि अब तक 18 मीटर निकासी सुरंग तैयार हो गई है। अभी मशीन को 42 मीटर ड्रिलिंग कर सात पाइप और बिछाने हैं, जिसमें 30 से 35 घंटे का समय लग सकता है।

इसके बाद ही श्रमिकों को बाहर निकाला जा सकेगा। श्रमिकों को निकालने के लिए भूस्खलन क्षेत्र में मलबे के बीच कुल 60 मीटर लंबी निकासी सुरंग बनेगी। उधर, केंद्रीय भूतल परिवहन राज्यमंत्री जनरल (सेनि.) वीके सिंह ने गुरुवार को सिलक्यारा पहुंचकर राहत व बचाव कार्य का निरीक्षण किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी लगातार बचाव कार्य की निगरानी करते हुए अधिकारियों से अपडेट ले रहे हैं।

केंद्रीय राज्यमंत्री वीके सिंह ने शुक्रवार देर रात तक सुरंग में फंसे श्रमिकों को बाहर निकाले जाने की उम्मीद जताई है। उन्होंने सुरंग के भीतर पूजा-अर्चना कर भगवान से श्रमिकों के सकुशल होने की कामना भी की। उत्तरकाशी के सिलक्यारा में बन रही सुरंग में रविवार सुबह करीब साढ़े पांच बजे भूस्खलन हो गया था, जिसके बाद से 40 श्रमिक भीतर फंसे हुए हैं। उन्हें पानी निकासी के पाइप के माध्यम से आक्सीजन और खाद्य सामग्री की आपूर्ति की जा रही है। बचाव कार्य में जुटी एजेंसियों ने पहले मलबा निकालने का प्रयास किया था, लेकिन सफलता नहीं मिली।

इसके बाद मंगलवार को देहरादून से लाई गई ड्रिलिंग मशीन से 800 मिमी व्यास के पाइप डालकर अस्थायी सुरंग बनाने का प्रयास किया गया, लेकिन मशीन खराब हो गई। ऐसे में बुधवार को दिल्ली से वायु सेना के विशेष विमान से उच्च क्षमता और अत्याधुनिक तकनीक वाली ड्रिलिंग मशीन सिलक्यारा पहुंचाई गई, जिसने गुरुवार सुबह काम शुरू किया।

मशीन स्थापित करने से पूर्व स्थानीय देवता की पूजा-अर्चना की गई। इसके बाद सुबह 10 बजे ड्रिलिंग शुरू हुई और डेढ़ घंटे में छह मीटर लंबे 900 मिमी व्यास के एक पाइप को भीतर धकेला गया। निकासी सुरंग बनाने का कार्य रात में भी जारी रहा।

प्रशासनिक अधिकारियों ने पहले बताया था कि ड्रिलिंग मशीन एक घंटे में पांच मीटर ड्रिल कर सकती है और इस तरह 12 घंटे में 60 मीटर ड्रिलिंग कर निकासी सुरंग तैयार कर ली जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। क्योंकि, एक पाइप को दूसरे पाइप से जोड़ने में ही करीब दो घंटा लग रहा है। ड्रिलिंग का समय इससे अतिरिक्त है।

अभी 30 से 35 घंटे और

110 घंटे से भी अधिक समय से सुरंग के भीतर फंसे 40 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए अभी 30 से 35 घंटे का समय और लग सकता है। उत्तरकाशी के जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि मलबे में ड्रिल करने और छह मीटर लंबे पाइप को धकेलने में करीब डेढ़ घंटे लग रहा है।

इसके बाद एक पाइप को दूसरे पाइप से जोड़ने में करीब दो घंटा लग रहा है। मशीन को बीच-बीच में विश्राम भी दिया जा रहा है। कहा कि जब निकासी सुरंग की लंबाई बढ़ने लगेगी तो काम की गति तेज होने की उम्मीद है। राहत व बचाव टीम के विशेषज्ञों के अनुसार, सुरंग में फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए करीब 60 मीटर लंबी निकासी सुरंग बनाने में शुक्रवार रात तक का समय लग सकता है।

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बिजली-पानी की पर्याप्त व्यवस्था

उत्तरकाशी के जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला ने बताया कि सुरंग में फंसे श्रमिकों के लिए आक्सीजन और खाद्य सामग्री की लगातार आपूर्ति की जा रही है। उनके अनुसार सुरंग में बिजली और पेयजल की पर्याप्त व्यवस्था है। श्रमिकों को आवश्यकतानुसार दवा आदि भी भेजी जा रही हैं। फिलहाल, सभी श्रमिक सुरक्षित हैं।

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