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Uttarkashi Tunnel Collapse: 2500 कर्मवीरों के ‘तप’ से बचे सुरंग में फंसे 41 श्रमवीर, अधिकारी-कर्मचारी भी पर्दे के पीछे से देते रहे योगदान

सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमवीरों को बचाने के लिए एक तरफ देश-विदेश में दुआ की जा रही थीं तो दूसरी तरफ 2500 कर्मवीर दिन-रात और भूख-प्यास का फर्क भुलाकर पूरे मनोयोग से इस अभियान में जुटे थे। युद्धस्तर पर चले इस बचाव अभियान में देश की विभिन्न एजेंसियों के 15 वरिष्ठ इंजीनियर और 14 वरिष्ठ अधिकारी शामिल रहे साथ ही एम्स की टीम भी मौके पर जुटी रही।

By Jagran NewsEdited By: Jeet KumarUpdated: Sat, 02 Dec 2023 06:10 AM (IST)
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2500 लोगों की कड़ी मेहनत ने 41 श्रमिकों को बाहर निकाला
 शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी। सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमवीरों को बचाने के लिए एक तरफ देश-विदेश में दुआ की जा रही थीं तो दूसरी तरफ 2500 कर्मवीर दिन-रात और भूख-प्यास का फर्क भुलाकर पूरे मनोयोग से इस अभियान में जुटे थे। कर्मवीरों के इस ‘तप’ का सुफल 17 दिन बाद श्रमवीरों की आजादी के रूप में सामने आया।

युद्धस्तर पर चले इस बचाव अभियान में देश की विभिन्न एजेंसियों के 15 वरिष्ठ इंजीनियर और 14 वरिष्ठ अधिकारी शामिल रहे। इसके साथ ही एनएचआइडीसीएल के पांच वरिष्ठ अधिकारी, दो मैनेजर व इंजीनियर, 350 तकनीकी व 450 सहायक कर्मचारियों ने भी अपना योगदान दिया।

एम्स ऋषिकेश की टीम भी मौके पर जुटी रही

नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी के 825 अधिकारी-कर्मचारी और श्रमिक भी अभियान में जुटे रहे। प्राण रक्षा के इस हवन में उत्तरकाशी जिले के सरकारी विभाग भी आहुति डालने में पीछे नहीं रहे। उत्तरकाशी के 800 से अधिक अधिकारी-कर्मचारियों की टीम बचाव अभियान की शुरुआत से लेकर श्रमिकों को सुरंग से निकाले जाने और फिर एम्स ऋषिकेश पहुंचाने तक मोर्चे पर डटी रही।

12 नवंबर को दीपावली की सुबह सिलक्यारा सुरंग में जब भूस्खलन होने से श्रमिक फंसे तो सबसे पहले उत्तरकाशी के जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला, पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल, यूजेवीएनएल के ईई महावीर सिंह नाथ और अमन बिष्ट सहित जिले में तैनात एसडीआरएफ व एनडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची।

अधिकारी-कर्मचारी भी पर्दे के पीछे रह योगदान देते रहे

इसी टीम ने शुरुआत में बचाव की रणनीति बनाई और विभिन्न एजेंसियों से संपर्क किया। बचाव अभियान के दौरान जिलाधिकारी से लेकर पटवारी तक सिलक्यारा में डेरा डाले रहे। पर्यटन, परिवहन, खाद्य आपूर्ति के अलावा विकास भवन के अधिकारियों को भी जिम्मेदारी दी गई थी। जिले के अन्य सरकारी विभागों के अधिकारी-कर्मचारी भी पर्दे के पीछे रह योगदान देते रहे।

बचाव अभियान संपन्न होने के बाद गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पांडे ने जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला की पीठ भी थपथपाई। अभियान के दौरान सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों के सिलक्यारा में जुटे रहने से विभागों में कामकाज प्रभावित रहा, जो पटरी पर लौट रहा है। बचाव अभियान में सबसे महत्वपूर्ण कार्य विभिन्न टीमों और मशीनों के परिवहन का रहा। इसके लिए उत्तरकाशी की सरकारी मशीनरी ने सिलक्यारा के पास अस्थायी हेलीपैड तैयार किया।

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ऊर्जा निगम और जल संस्थान के कर्मचारी दिन-रात जुटे रहे

बचाव टीमों के लिए हेलीकॉप्टर, कार्यस्थल तक आने-जाने के लिए वाहन और रहने व खाने की व्यवस्था भी इसी मशीनरी ने की। तीन दर्जन से अधिक मशीनों को सिलक्यारा तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी बखूबी निभाई। वन विभाग उत्तरकाशी की टीम ने वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए चयनित स्थल तक सड़क बनाने को करीब 80 पेड़ों का एक ही रात में पातन करवाया। इसके बाद उत्तरकाशी में तैनात बीआरओ की टीम ने 48 घंटे में 1.2 किमी सड़क तैयार की। ड्रिलिंग के लिए पानी और बिजली पहुंचाना भी कम चुनौतीपूर्ण नहीं था। इसके लिए ऊर्जा निगम और जल संस्थान के कर्मचारी दिन-रात जुटे रहे।

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