Uttarakhand Tunnel Collapse: कभी जगी उम्मीद, तो कभी मायूसी; 41 मजदूरों के इंतजार में बीत रहा परिजनों का दिन
Uttarakhand Tunnel Collapse गुरुवार खोज बचाव अभियान का 12वां दिन जिंदगी की उम्मीद के साथ बेचैनी और इंतजार में गुजरी। यहां तक की खोज बचाव टीम का नेतृत्व करने वाले अधिकारियों के चेहरों पर भी अभियान को सफल बनाने को लेकर चिंताएं दिखी। दोपहर के समय वीआईपी दौरे और शाम को बौखनाग देवता की डोली पहुंची तो इस बीच गहमागहमी का माहौल दिखा।
By Jagran NewsEdited By: Swati SinghUpdated: Fri, 24 Nov 2023 09:33 AM (IST)
शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी। उत्तरकाशी टनल हादसे में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए पिछले 12 दिनों से रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। आज 13वें दिन उगते सूरज के साथ ही खराब मशीनों को ठीक करने का काम किया जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि गुरुवार को बंद हुआ अभियान एक बार फिर से जल्द ही शुरू हो जाएगा।
गुरुवार, खोज बचाव अभियान का 12वां दिन जिंदगी की उम्मीद के साथ बेचैनी और इंतजार में गुजरी। यहां तक की खोज बचाव टीम का नेतृत्व करने वाले अधिकारियों के चेहरों पर भी अभियान को सफल बनाने को लेकर चिंताएं दिखी। दोपहर के समय वीआईपी दौरे और शाम को बौखनाग देवता की डोली पहुंची तो इस बीच गहमागहमी का माहौल दिखा।
टकटकी लगाए बैठे रहे ग्रामीण
सुरंग के निकट मीडिया गैलरी से लेकर खेत व सड़क के किनारे से, होटल और घर की छत में बैठकर आशा भारी निगाह से ग्रामीण की टकटकी सिर्फ सुरंग के मुहाने पर ही लगी रही। बुधवार की रात को उम्मीद थी कि खोज बचाव अभियान सफल हो जाएगा। इसी इंतजार में स्वजन, खोज बचाव में जुटे कर्मियों से लेकर मीडिया वाले जागे रहे।सिलक्यारा में लगा रहा वीआईपी लोगों का आना जाना
गुरुवार की सुबह एक के बाद एक हेलीकॉप्टर की गड़गड़ाहट शुरू हुई तो सिलक्यारा में गतिविधि बढ़ी। दिल्ली से ऑगर मशीन के सात ऑपरेटर हेलीकॉप्टर के जरिये सिलक्यारा पहुंचे। जिसके बाद केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह और फिर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का काफिला आया तो लगा कि खोज बचाव टीम ने अपना अभियान पूरा कर दिया है।
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सीएम के आने से बढ़ी बेचैनी
होटल में ठहरे स्वजन और मीडिया कर्मी व अन्य लोग सिलक्यारा के लिए दौड़ पड़े। करीब डेढ़ घंटे बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सिलक्यारा से मातली की ओर रवाना हुए तो बेचैनी और इंतजार और बढ़ा। सुरंग में फंसे झारखंड निवासी विश्वजीत कुमार के भाई इंद्रजीत कुमार भी पिछले नौ दिनों से उत्तरकाशी सिलक्यारा में डेरा डाले हैं।
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