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Uttarkashi Tunnel Rescue: हर कदम एक नई चुनौती... रात भर जारी रही 41 जिंदगियों को बाहर निकालने की जद्दोजहद

Uttarkashi Tunnel Rescue बचाव अभियान में जुटी मशीनरी का इम्तिहान शुरू हो गया। हालांकि बचाव दल पूरी ताकत के साथ अंतिम पड़ाव तक पहुंचने के प्रयास में जुटे हैं। बचाव अभियान के नोडल अधिकारी डा. नीरज खैरवाल ने बताया कि बुधवार मध्य रात्रि के करीब ड्रिलिंग के दौरान 45वें मीटर पर सरिया व धातु के टुकड़े आ जाने से पाइप आगे नहीं बढ़ पाया।

By Jagran NewsEdited By: Prince SharmaUpdated: Sat, 25 Nov 2023 06:30 AM (IST)
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जीपीआर का प्रयोग कर जानी अवरोधों की स्थिति
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। उत्तराखंड के सिलक्यारा में 13 दिन से फंसी 41 जिंदगियों को बाहर निकालने का अभियान पल-पल परीक्षा ले रहा है। पिछले तीन दिन से धीमा पड़ा बचाव अभियान जैसे ही गति पकड़ता है, वैसे ही दूसरी चुनौती सामने आ जाती है। शुक्रवार को भी अभियान मंजिल के पास पहुंचकर एक बार फिर रुक गया और फिर से बचाव अभियान में जुटी मशीनरी का इम्तिहान शुरू हो गया। हालांकि, बचाव दल पूरी ताकत के साथ अंतिम पड़ाव तक पहुंचने के प्रयास में जुटे हैं।

शुक्रवार को शुरू हुई ड्रिलिंग

गुरुवार दोपहर से बंद ड्रिलिंग को पटरी पर लाने के लिए तमाम मोर्चों पर काम किए जाने के बाद शुक्रवार शाम ड्रिलिंग शुरू हो सकी। मगर करीब एक घंटे बाद ही सुरंग में फिर से अवरोध आ गया और ड्रिलिंग रोकनी पड़ी। इस दौरान दो मीटर पाइप ही अंदर धकेला जा सका था। सूत्रों के अनुसार, अब ड्रिलिंग की राह में लोहे का गार्डर आया है। इसे हटाने के लिए श्रमिकों को गैस कटर के साथ पाइप के अंदर भेजा गया है।

इस बाधा को दूर करने में लगभग तीन घंटे लगने का अनुमान लगाया जा रहा है। सुरंग में कैद श्रमिकों को निकालने के लिए 57 से 60 मीटर ड्रिलिंग की जानी है, जिसमें से अब तक 48.8 मीटर निकास सुरंग तैयार हो चुकी है। बचाव टीम अवरोधों से पार पाने को जीपीआर (ग्राउंड पेनेट्रेशन रडार) का उपयोग भी कर रही है। सिलक्यारा में चारधाम आलवेदर रोड परियोजना की निर्माणाधीन 4.5 किलोमीटर लंबी सुरंग के भीतर 12 नवंबर को भूस्खलन होने से 41 श्रमिक फंस गए थे। तब से उन्हें सुरक्षित बाहर निकालने का अभियान जारी है।

तीन दिन से पल-पल बदल रहे समीकरण

बचाव अभियान के नोडल अधिकारी डा. नीरज खैरवाल ने बताया कि बुधवार मध्य रात्रि के करीब ड्रिलिंग के दौरान 45वें मीटर पर सरिया व धातु के टुकड़े आ जाने से पाइप आगे नहीं बढ़ पाया। इससे सुरंग में धकेले जा रहे पाइप का अगला हिस्सा बुरी तरह मुड़ गया था। इसके साथ ही औगर मशीन का एक पुर्जा भी टूट गया। ऐसे में ड्रिलिंग रोकनी पड़ी।

गुरुवार को इन बाधाओं को दूर कर दोपहर में दोबारा ड्रिलिंग शुरू की गई, लेकिन 1.8 मीटर के बाद फिर बाधा खड़ी हो गई। औगर मशीन में कंपन और दबाव अधिक होने के साथ ही मशीन के संचालन के लिए बनाया गया प्लेटफार्म क्षतिग्रस्त होने से ड्रिलिंग रोकनी पड़ी।

शुक्रवार को राहत एवं बचाव दल ने कड़ी मशक्कत के बाद इन बाधाओं को दूर किया, जिसके बाद शाम को ड्रिलिंग शुरू हो पाई। मगर सुरंग के अंदर दो मीटर पाइप ही धकेला जा सका था कि आगे एक बार फिर अवरोध आ गया। ऐसे में काम फिर से रोकना पड़ा।

जीपीआर का प्रयोग कर जानी अवरोधों की स्थिति

डॉ. खैरवाल के मुताबिक, अवरोधों की पहचान के लिए जीपीआर को भी सुरंग में दाखिल किया गया, जिसमें पाया गया कि अगले 5.4 मीटर भाग तक धातु की कोई खास उपस्थिति नहीं है। इसे आशाजनक मानते हुए ड्रि¨लग शुरू की गई थी। ड्रिलिंग के लिए 800 मिमी व्यास के पाइप के मुड़े हुए 1.2 मीटर भाग को भी काट दिया गया था। लिहाजा, कुल ड्रिलिंग को 46.8 मीटर मानते हुए औगर मशीन को संचालित किया गया। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले कुछ घंटों के भीतर श्रमिकों को बाहर निकाला जा सकता है।

बढ़ रही हलचल बंधा रही उम्मीद

शुक्रवार शाम को ड्रिलिंग में बाधा आने के बाद भी मशीनरी विभिन्न माध्यम से काम जारी रखे हुए है। अवरोधों के बाद भी सिलक्यारा क्षेत्र में बढ़ रही हलचल बता रही है कि कुछ घंटों के भीतर अवरोधों को पार कर लिया जाएगा। क्योंकि, रात गहराने के साथ सरकारी मशीनरी की मुस्तैदी भी बढ़ती दिख रही है और सुरंग क्षेत्र में एंबुलेंस निरंतर पहुंच रही हैं।

प्रधानमंत्री ने ली बचाव अभियान की जानकारी

शुक्रवार को भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर सुरंग में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिए जारी बचाव अभियान की जानकारी ली। 12 नवंबर को हुई इस घटना के बाद से प्रधानमंत्री लगातार मुख्यमंत्री से फोन पर बचाव अभियान की प्रगति जान रहे हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारी भी सिलक्यारा में डटे हैं।

दोपहर के भोजन में भेजा दाल, रोटी, सब्जी और चावल

चिकित्सकों के परामर्श पर श्रमिकों को शुक्रवार सुबह नाश्ते में मूंग दाल की खिचड़ी, दूध, ब्रेड, जैम, उबले अंडे छह इंच के लाइफ लाइन पाइप के माध्यम से भेजे गए। दोपहर में श्रमिकों को दाल, रोटी, सब्जी और चावल पहुंचाया गया।

मैनुअली मलबा हटाने पर विचार

सिलक्यारा सुरंग में औगर मशीन से पाइप ड्रिलिंग के दौरान बार-बार बाधा आने के बाद अब बचाव दल अन्य विकल्पों पर भी विचार कर रहा है। यह भी संभावना तलाशी जा रही है कि क्या बचे हुए आठ मीटर के हिस्से में मैनुअली मलबा हटाया जा सकता है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, इस पर विशेषज्ञों के साथ विमर्श किया जा रहा है।

श्रमिकों में हल्के बुखार व अनिद्रा की शिकायत

पिछले 13 दिनों से सुरंग में फंसे कुछ श्रमिकों में हल्का बुखार, अनिद्रा और आंखों में जलन जैसी शिकायतें सामने आई हैं। फिजिशियन और मनोचिकित्सक निरंतर श्रमिकों का हालचाल जान रहे हैं और उनकी शिकायतों का निदान करने के साथ जरूरी दवाएं भी दी जा रही हैं। सिलक्यारा में तैनात चिकित्सक डा. प्रेम पोखरियाल ने बताया कि सुरंग में फंसे श्रमिकों का हौसला बरकरार है और वह तनावमुक्त हैं।

शुक्रवार देर रात से जारी है रेस्क्यू

शुक्रवार की देर रात भी रेस्क्यू जारी रहा। इस बीच मशीन में किसी भी प्रकार की कोई कमी नजर नहीं। इस बीच उत्तरकाशी बचाव अभियान पर एक एक्सपर्ट ने कहा कि मशीन ने पांच मीटर तक किसी भी अवरोध का सामना नहीं किया। रेस्क्यू अभियान पूरी रात चला। संभावना है श्रमिक आज टनल से सुरक्षित बाहर निकाले जा सकेंगे।

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