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Varunavat Landslide: सामने आया भूस्‍खलन का कारण, तकनीकी समिति ने निरीक्षण कर जिलाधिकारी को सौंपी रिपोर्ट

Varunavat Landslide तीन दिन पहले हुए भूस्खलन का कारण सामने आ गया है। भूस्‍खलन क्षेत्र का निरीक्षण कर लौटी तकनीकी समिति ने जिलाधिकारी को रिपोर्ट सौंप दी है। फिलहाल किसी बड़े खतरे की आशंका व्यक्त नहीं की गई है। बता दें कि जिलाधिकारी डा. मेहरबान सिंह बिष्ट ने भूस्खलन के कारण प्रभाव और प्रभावित होने वाले क्षेत्र के सर्वेक्षण के लिए 10 सदस्यीय तकनीकी समिति गठित की थी।

By Shailendra prasad Edited By: Nirmala Bohra Updated: Fri, 30 Aug 2024 09:58 AM (IST)
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Varunavat Landslide: तकनीकी टीम का सुझाव, भूस्खलन के फैलाव का रोकना जरूरी
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। Varunavat Landslide: वरुणावत पर्वत के भूस्खलन क्षेत्र का निरीक्षण करने वाली तकनीकी समिति का मानना है कि तीन दिन पहले हुए भूस्खलन का कारण अत्यधिक वर्षा और पहाड़ी के खुले हिस्सों में जलभराव के कारण दबाव में वृद्धि होना था। इसके अलावा समिति ने क्षेत्र की चट्टानों के संधियुक्त और खंडित अवस्था में होने को भी भूस्खलन की वजह माना है।

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि क्षेत्र में संधियुक्त क्वार्टजाइट व फिलाइट चट्टानें मौजूद है। इनकी संधियों के तीन सेट हैं। संधि क्षेत्र का सामान्य ढाल के अनुरूप होना भूस्खलन की घटना का कारण बना। क्षेत्र में भूस्खलन को फैलने से रोकने के लिए उपाय करने और भारतीय भू-सर्वेक्षण संस्थान से विस्तृत जांच कराने का सुझाव समिति ने दिया है।

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दरक गया था वरुणावत पर्वत का एक हिस्सा

फिलहाल, किसी बड़े खतरे की आशंका व्यक्त नहीं की गई है। मंगलवार देर रात उत्तरकाशी जिला मुख्यालय और आसपास क्षेत्र में भारी वर्षा हुई। इसी दौरान गोफियारा क्षेत्र में वरुणावत पर्वत का एक हिस्सा दरक गया था। इससे गोफियारा कालोनी में बड़ी मात्रा में पत्थर और मलबा गिरा, जिसमें कई दोपहिया-चौपहिया वाहन दब गए। इससे क्षेत्र में दहशत फैल गई थी।

जिलाधिकारी डा. मेहरबान सिंह बिष्ट ने भूस्खलन के कारण, प्रभाव और प्रभावित होने वाले क्षेत्र के सर्वेक्षण के लिए 10 सदस्यीय तकनीकी समिति गठित की थी। बुधवार सुबह समिति के सदस्यों ने प्रभावित क्षेत्र में पहुंचकर निरीक्षण किया और देर रात अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप दी। इसमें बताया कि 27 अगस्त को सुबह आठ बजे से अगले 24 घंटों में उत्तरकाशी शहर में 122 मिमी वर्षा हुई, जबकि पूरे महीने में 703 मिमी, जो सामान्य से कहीं अधिक है।

इसके मद्देनजर समिति ने अधिक वर्षा और पहाड़ी के खुले स्थानों में जलभराव के कारण छिद्र दबाव में वृद्धि, चट्टानों के संधियुक्त व खंडित अवस्था में होने को भूस्खलन का मुख्य कारण माना।  जिलाधिकारी ने कहा कि रिपोर्ट शासन को भेजने के साथ ही विशेषज्ञों की राय ली जाएगी। इसके बाद प्रभावित क्षेत्र में सुरक्षा और उपचार हेतु तत्कालिक व दीर्घकालिक उपाय सुनिश्चित किए जाएंगे।

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किसी भी प्रकार के संभावित खतरों के दृष्टिगत जान-माल की सुरक्षा के लिए उपाय सुनिश्चित किए जाएंगे। क्षेत्र में अभी स्थिति सामान्य है और प्रशासन निरंतर निगरानी कर रहा है।

रिपोर्ट में यह भी

  • वरुणावत पर्वत पर 1,470 मीटर की ऊंचाई पर स्थित भूस्खलन क्षेत्र के डाउन हिल में स्थित आबादी क्षेत्र में संवेदनशील क्षेत्र का चिह्नीकरण कर सर्तकता बरती जाए।
  • ढालदार भूस्खलन क्षेत्र में तीन जगह एकत्रित मलबे को नीचे की तरफ बढ़ने से रोकने को उपाय किए जाएं।
  • क्षेत्र में मौजूद क्वार्टजाइट चट्टानें कठोर प्रवृत्ति की होती है। इस कारण अधिक मात्रा में मलबे के उत्सर्जन की आशंका कम है।
  • भूस्खलन क्षेत्र के सामान्य ढाल की तीव्रता अधिक होने और डाउन हिल में सघन आबादी क्षेत्र व राष्ट्रीय राजमार्ग होने से दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहेगी।
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