Varunavat Landslide: विशेषज्ञों की टीम ने किया अध्ययन, कहा- भूस्खलन बहुत चिंताजनक नहीं, पर सुरक्षा के उपाय जरूरी
Varunavat Landslide उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में वरुणावत पर्वत पर हुए भूस्खलन को लेकर विशेषज्ञों की टीम ने विस्तृत अध्ययन किया है। उन्होंने भूस्खलन को बहुत चिंताजनक नहीं माना है लेकिन सुरक्षा उपायों पर जोर दिया है। टीम ने वरुणावत टाप पर पहले किए गए ट्रीटमेंट कार्य की मानिटरिंग ड्रेनेज सिस्टम की सफाई और झाड़ियों को हटाने की सलाह दी है।
जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी । Varunavat Landslide: सीमांत जनपद उत्तरकाशी के वरुणावत पर्वत के उपचार के उपायों में जुटे विज्ञानियों ने यहां हो रहे भूस्खलन को बहुत चिंताजनक नहीं माना है। लेकिन यह भी कहा कि जो परिस्थितियां बन रही हैं उससे सचेत रहने की जरूरत है। उन्होंने समय रहते सुरक्षा उपाय करने का सुझाव भी दिया है।
दो दिनों के अध्ययन के बाद उनका कहना है वरुणावत टाप पर पहले किए गए ट्रीटमेंट कार्य की मानिटरिंग, ड्रेनेज सिस्टम की सफाई और झाड़ियों को हटाना जाना जरूरी है। साथ ही भूस्खलन से सुरक्षा और उपचार के लिए तत्कालिक और दीर्घकालीन उपाय किए जाने की भी आवश्यकता है।
सोमवार तक रिपोर्ट शासन को सौंपेगी टीम
विज्ञानियों की टीम सोमवार तक अपनी विस्तृत रिपोर्ट शासन को सौंपेगी।
27 अगस्त और तीन सितंबर को वरुणावत पर्वत से लगे गुफियारा-जल संस्थान कालोनी के ऊपर की पहाड़ी पर भारी भूस्खलन हुआ था। खतरे को देखते हुए यहां से करीब 50 परिवारों को दूसरी जगह शिफ्ट किया गया है। चूंकि 2003 में यहां हुए भूस्खलन से व्यापक तबाही हुई थी इसलिए प्रशासन ने हालिया भूस्खलन की विस्तृत भूवैज्ञानिक जांच का फैसला लिया था, जिससे इसके सुझाव और उपाय प्रस्तुत किए जा सकें।
प्रशासन के आग्रह पर शासन की ओर से भेजी गई टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन (टीएचडीसी), भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआइ) और उत्तराखंड भूस्खलन शमन एवं प्रबंधन केन्द्र (यूएलएमएमसी) के भूविज्ञानियों की टीम शुक्रवार को उत्तरकाशी पहुंची। टीम ने दो दिन तक वरुणावत पर्वत से हो रहे भूस्खलन का विस्तृत अध्ययन किया। ड्रोन और अन्य उपकरणों के जरिये कुटेटी देवी, वरुणावत की तलहटी, शिखर और गोफियारा भूस्खलन क्षेत्र का सर्वे किया किया।
टीम ने भूस्खलन वाले क्षेत्र में खतरे की आशंका का आकलन भी किया। वरुणावत पर्वत के पूर्व में ट्रीटमेंट किए गए हिस्से और वहां के ड्रेनेज व्यवस्था को भी देखा। उनके साथ आपदा प्रबंधन के मास्टर ट्रेनर, ड्रोन आपरेटर और एसडीआरएफ के सदस्य भी थे।
शनिवार देर शाम को विशेषज्ञों की टीम ने कलेक्ट्रेट में जिलाधिकारी डा. मेहरबान सिंह बिष्ट के साथ बैठक की। इसमें भी भूस्खलन के उपायों पर विस्तृत चर्चा हुई। इस मौके पर यूएलएमएमसी की वरिष्ठ भूविज्ञानी रुचिका टंडन, डिजायन इंजीनियर पंकज उनियाल, जीएसआइ की वरिष्ठ भूविज्ञानी नेहा कुमारी, टीएचडीसी के वरिष्ठ प्रबंधक जेआर कोठारी, टीएचडीसी के स्ट्रक्चरल इंजीनियर विनय पुरोहित, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल भी मौजूद रहे।