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वाइब्रेंट विलेज योजना में शामिल हैं उत्तरकाशी के ये 10 गांव, खोलेंगे समृद्धि के द्वार; पर्यटन की भरपूर संभावनाएं

वाइब्रेंट विलेज योजना में सीमांत उत्तरकाशी जिले के 10 गांव भी शामिल हैं। इनमें आठ गांव हर्षिल घाटी और दो गांव नेलांग घाटी में हैं। हर्षिल घाटी चारधाम यात्रा के लिहाज से भी महत्वपूर्ण हैं। गंगोत्री धाम और मां गंगा का शीतकालीन प्रवास स्थल भी इसी क्षेत्र में है। इसलिए वाइब्रेंट विलेज वासियों की आर्थिकी प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से चारधाम यात्रा से भी जुड़ी हुई है।

By Jagran News Edited By: Nitesh Srivastava Updated: Tue, 25 Jun 2024 07:15 PM (IST)
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वाइब्रेंट विलेज योजना में शामिल उत्तरकाशी के गांव। जागरण
शैलेंद्र गोदियाल, जागरण, उत्तरकाशी। वाइब्रेंट विलेज में शामिल उत्तराखंड के गांवों और उनके निकटवर्ती क्षेत्रों को प्रकृति ने नेमत प्रदान की है। यहां लोक जीवन के सौंदर्य के साथ ही देवदार के घने जंगल, ताल, बुग्याल, झरने और ट्रांस हिमालय की वादियों के अद्भुत संसार के दर्शन होते हैं।

प्रकृति के इस खजाने से जोड़ने वाली हर पगडंडी पर समृद्धि और आर्थिकी के द्वार हैं। बस, जरूरत है उन्हें सुनियोजित ढंग से खोलने और बिखरे हुए आर्थिक संसाधनों के सही उपयोग की। इसका खाका वाइब्रेंट विलेज योजना में खींचा जा रहा है।

वाइब्रेंट विलेज योजना में शामिल उत्तरकाशी के गांव

  • हर्षिल
  • सुक्की
  • झाला
  • पुराली
  • बगोरी
  • धराली
  • मुखवा
  • जसपुर
  • नेलांग
  • जादूंग

ट्रेकिंग को मिलेगा बढ़ावा, एस्ट्रो टूरिज्म कैंपिंग साइट का विकास भी

वाइब्रेंट विलेज में पर्यटन की भरपूर संभावनाएं हैं। वाइब्रेंट विलेज हर्षिल-बगोरी के निकट क्यारकोटी, झाला के निकट अवाना, मुखवा के निकट मंगलाछू, धराली के निकट झिंडा, सुक्की के निकट कंडारा बुग्याल है। इन मखमली घास के मैदानों में हिमखंड, झरने, नदी, झील और वन्यजीवों का दीदार भी होता है।

धराली गांव से सात ताल को जाने वाला खूबसूरत ट्रेक भी है। हर्षिल में लामा टिकरी ट्रेक, जसपुर में खदरा जलप्रपात, मुखवा में मंगलाछू ताल का ट्रेक है। वाइब्रेंट विलेज योजना में इन ट्रेक का सुदृढ़ीकरण और एस्ट्रो टूरिज्म कैंपिंग साइट का विकास भी शामिल है। साथ ही सेब के बागीचे के बीच टेंट व होम स्टे बनाने की योजना भी है।

भेड़ की ऊन से तैयार परिधानों को मिलेगा बाजार

वाइब्रेंट विलेज के ग्रामीण भेड़ पालन से जुड़े हैं। भेड़ पालकों के अलावा कुछ ग्रामीण भी ऊन के उत्पाद बनाने का काम करते हैं। भेड़ की ऊन से तैयार उत्तरकाशी की दन्न खास पहचान रखती है।

वाइब्रेंट विलेज योजना में इन भेड़ पालकों का कौशल विकसित करना और पारंपरिक बुनकरों को डिजाइन विकास कार्यक्रमों के माध्यम से नई डिजाइन शृंखला से जोड़ा जाना है।

इसमें ऊन के लिए ऊन कार्डिंग ओपनर बेलिंग सुविधा देना भी शामिल है। योजना का ठीक ढंग से क्रियान्वयन हुआ तो भेड़ की ऊन के कपड़ों को नए डिजाइन के साथ अच्छा बाजार भी मिलेगा।

शीतकालीन यात्रा और पर्यटन को लगेंगे पंख

हर्षिल घाटी में शीतकालीन यात्रा और पर्यटन के लिए कभी ठोस प्रयास नहीं हुए। अब वाइब्रेंट विलेज योजना से इसकी उम्मीद जगी है। इसके लिए पुराली से हर्षिल तक सड़क निर्माण प्रस्तावित है। शीतकाल के लिए यह मार्ग सबसे उपयोगी होगा।

जंचोरिया से छोलमी मोटर मार्ग का निर्माण प्रस्तावित है, जो राता हिमक्रीड़ा स्थल तक पहुंचने में सहायक होगा। हर्षिल-मुखवा-जांगला मोटर मार्ग का निर्माण और विस्तार भी किया जाएगा। इससे गंगा डोली यात्रा में उत्साह भी बढ़ेगा।

फूलों की खेती से मजबूत होगी आर्थिकी

ग्रामीणों की आजीविका बढ़ाने के लिए हर्षिल घाटी में फूलों (गुलाब, गेंदा, लैवेंडर) की खेती की योजना है। इसके तहत घाटी के गांवों को जीवंत सगंध गांव बनाना है। फूलों का उपयोग गंगोत्री धाम सहित विभिन्न मंदिरों में हो सकेगा।

सेब उत्पादन को मिलेगा विस्तार

हर्षिल, सुक्की, झाला, पुराली, बगोरी, धराली, मुखवा और जसपुर में सेब का अच्छा उत्पादन होता है। हर्षिल का सेब एक जिला एक उत्पाद में भी शामिल है। वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत यहां सेब ग्रेडिंग सार्टिंग यूनिट स्थापित करना, सेब के बगीचों की बाड़ लगाना, बिजली स्प्रेयर का वितरण, सेब बागान को बढ़ावा देना शामिल है। सेब ढुलान के लिए ट्राली लगाने की भी योजना है।

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