वाइब्रेंट विलेज योजना में शामिल हैं उत्तरकाशी के ये 10 गांव, खोलेंगे समृद्धि के द्वार; पर्यटन की भरपूर संभावनाएं
वाइब्रेंट विलेज योजना में सीमांत उत्तरकाशी जिले के 10 गांव भी शामिल हैं। इनमें आठ गांव हर्षिल घाटी और दो गांव नेलांग घाटी में हैं। हर्षिल घाटी चारधाम यात्रा के लिहाज से भी महत्वपूर्ण हैं। गंगोत्री धाम और मां गंगा का शीतकालीन प्रवास स्थल भी इसी क्षेत्र में है। इसलिए वाइब्रेंट विलेज वासियों की आर्थिकी प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से चारधाम यात्रा से भी जुड़ी हुई है।
शैलेंद्र गोदियाल, जागरण, उत्तरकाशी। वाइब्रेंट विलेज में शामिल उत्तराखंड के गांवों और उनके निकटवर्ती क्षेत्रों को प्रकृति ने नेमत प्रदान की है। यहां लोक जीवन के सौंदर्य के साथ ही देवदार के घने जंगल, ताल, बुग्याल, झरने और ट्रांस हिमालय की वादियों के अद्भुत संसार के दर्शन होते हैं।
प्रकृति के इस खजाने से जोड़ने वाली हर पगडंडी पर समृद्धि और आर्थिकी के द्वार हैं। बस, जरूरत है उन्हें सुनियोजित ढंग से खोलने और बिखरे हुए आर्थिक संसाधनों के सही उपयोग की। इसका खाका वाइब्रेंट विलेज योजना में खींचा जा रहा है।
वाइब्रेंट विलेज योजना में शामिल उत्तरकाशी के गांव
- हर्षिल
- सुक्की
- झाला
- पुराली
- बगोरी
- धराली
- मुखवा
- जसपुर
- नेलांग
- जादूंग
ट्रेकिंग को मिलेगा बढ़ावा, एस्ट्रो टूरिज्म कैंपिंग साइट का विकास भी
वाइब्रेंट विलेज में पर्यटन की भरपूर संभावनाएं हैं। वाइब्रेंट विलेज हर्षिल-बगोरी के निकट क्यारकोटी, झाला के निकट अवाना, मुखवा के निकट मंगलाछू, धराली के निकट झिंडा, सुक्की के निकट कंडारा बुग्याल है। इन मखमली घास के मैदानों में हिमखंड, झरने, नदी, झील और वन्यजीवों का दीदार भी होता है।धराली गांव से सात ताल को जाने वाला खूबसूरत ट्रेक भी है। हर्षिल में लामा टिकरी ट्रेक, जसपुर में खदरा जलप्रपात, मुखवा में मंगलाछू ताल का ट्रेक है। वाइब्रेंट विलेज योजना में इन ट्रेक का सुदृढ़ीकरण और एस्ट्रो टूरिज्म कैंपिंग साइट का विकास भी शामिल है। साथ ही सेब के बागीचे के बीच टेंट व होम स्टे बनाने की योजना भी है।
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