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Uttarkashi Tunnel Rescue: तीन लाइफ लाइनों से बची श्रमिकों की जिंदगी, जानिए कब-कब क्या हुआ

Uttarkashi Tunnel Rescue सिलक्यारा सुरंग में 13 दिनों से कैद रहने वाले 41 श्रमिकों को चार इंच छह इंच और 32 इंच के पाइप लाइफ लाइन बनी है। श्रमिकों तक सकुशल निकालने और उन तक प्राणवायु रसद व अन्य सामग्री पहुंचाने के कई प्रयास हुए हैं। इन्हीं प्रयासों के चलते श्रमिक सकुशल रहे हैं। आज 14वें दिन भी इन्हें निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है।

By Jagran NewsEdited By: Swati SinghUpdated: Sat, 25 Nov 2023 01:24 PM (IST)
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तीन लाइफ लाइनों से बची श्रमिकों की जिंदगी
शैलेंन्द्र गोदियाल, उत्तरकाशी। सिलक्यारा सुरंग में 13 दिनों से कैद रहने वाले 41 श्रमिकों को चार इंच, छह इंच और 32 इंच के पाइप लाइफ लाइन बनी है। जिससे आस और उम्मीदों को सांस मिली है। सुरंग में फंसी जिंदगी बचाने के लिए खोज बचाव टीम निरंतर अभियान में जुटी हुई है।

श्रमिकों तक सकुशल निकालने और उन तक प्राणवायु, रसद व अन्य सामग्री पहुंचाने के कई प्रयास हुए हैं। इन्हीं प्रयासों के चलते श्रमिक सकुशल रहे हैं। सुरंग के अंदर जिंदगी को सांस पहुंचाने का पहला प्रयास 12 नवंबर की रात्रि को हुआ। इसी दिन सुबह सुरंग में भूस्खलन हुआ था।

गब्बर ने बांधा है हौसला

सुरंग में फंसे फोरमैन गब्बर सिंह नेगी अपने साथियों को बचाने के लिए सुरंग के अंदर से पानी निकासी का पंप चलाया। इस संकेत से सुरंग के बाहर खड़ी रेस्क्यू टीम को पता चला कि सुरंग के अंदर मौजूद श्रमिक जिंदा है। इस चार इंच व्यास के जरिए श्रमिकों ने बाहर आवाज लगाने का प्रयास किया।

पाइप बनी लाइफ लाइन

पाइप पर हल्की आवाज आई तो यही पाइप खोज बचाव टीम संवाद का माध्यम बनी। इसी पाइप के जरिये की सुरंग के अंदर 41 श्रमिकों के फंसे होने की संख्या भी सामने आई। खोज बचाओ अभियान टीम ने लाइफ लाइन बने इसी पाइप से ऑक्सीजन और रसद पहुंचाई।

जानिए 13 से लेकर 20 तारीख तक का अपडेट

13 नवंबर को श्रमिकों को निकालने के लिए ऑगर ड्रिलिंग मशीन के लिए अस्थायी प्लेटफार्म बनाना शुरू हुआ तो उम्मीद बढ़ी।

14 नवंबर को देहरादून से ऑगर ड्रिलिंग मशीन सिलक्यारा पहुंची। ड्रिलिंग मशीन को स्थापित करने के लिए 21 मीटर लंबा प्लेटफार्म तैयार किया गया। इस मशीन में तकनीकी खराबी आई।

15 नवंबर को नई दिल्ली से वायु सेना के तीन विमानों ने अमेरिकन ऑगर ड्रिलिंग मशीन सिलक्यारा पहुंचाई गई तो उम्मीद और बढ़ी। श्रमिकों की जान बचाने के लिए विभिन्न देशों के विशेषज्ञों से भी संपर्क किया गया।

16 नवंबर का दिन सबसे खास रहा जब अमेरिकन ऑगर मशीन ने काम शुरू किया। सिलक्यारा की तरफ से 18 मीटर निकास सुरंग तैयार किया गया। इसके बाद अर्चन पर अड़चन आती गई। परंतु खोज बचाव टीम भी इन अड़चनों से पार पाता रहा। जीवन बचाने के लिए सबसे बड़ी खबर यह रही की पीएमओ ने इस अभियान की कमान जब अपने हाथों में ली।

19 नवंबर को पीएमओ की टीम सिलक्यारा पहुंची। फिर जिंदगी को बचाने के अभियान ने गति पकड़ी। अलग-अलग विकल्पों पर भी मंथन हुआ। लेकिन सुरंग के अंदर मलबे में औगर मशीन से की जाने वाली ड्रिल को ही प्राथमिकता दी गई।

20 नवंबर को श्रमिकों तक सॉलिड फूड और अन्य सुविधाएं पहुंचाने के लिए 6 इंच व्यास का 57 मीटर पाइप पहुंचाया गया। तब जाकर नौ दिन बाद 41 श्रमिकों ने भोजन चखा। यह पाइप दूसरी लाइफ लाइन बनी। जिससे श्रमिकों को नियमित भोजन उपलब्ध हुआ।

श्रमिकों को बचाने में जुटे रहे लोग

16 नवंबर से लेकर अलग-अलग बाधाओं को पार करते हुए ऑगर मशीन ने शुक्रवार की रात को तीसरी लाइफ लाइन बनाकर सभी की उस आस को सांस दी, जो पिछले 13 दिनों सुरंग में कैद रहे, जो फंसे श्रमिकों को बचाने में जुटे रहे, वे सभी स्वजन जो अपनों की सकुशल वापसी के लिए चिंतित और बेताब दिखे।

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