नए घर में देवी यमुना का प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान शुरू
अपने मायके में यमुना को अपना घर मिल गया। खरसाली में नवनिर्मित यमुना मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान शुरू हो गया है, जो 11 अप्रैल को पूर्णाहुति के साथ विराम लेगा।
उत्तरकाशी, [जेएनएन]: यमुना के मायके खरसाली में नवनिर्मित यमुना मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान शुरू हो गया है, जो 11 अप्रैल को पूर्णाहुति के साथ विराम लेगा। 18 अप्रैल को यमुनाजी की डोली यमुनोत्री के लिए इसी नए मंदिर से प्रस्थान करेगी।
बीते वर्षों में शीतकाल के दौरान देवी यमुना की डोली राजराजेश्वरी मंदिर में विराजमान रहती थी और वहीं से कपाट खुलने पर यमुनोत्री धाम के लिए रवाना होती थी।
यमुनोत्री धाम के कपाट प्रत्येक वर्ष अक्षय तृतीया पर खोलने और शीतकाल के लिए भैयादूज के दिन बंद करने की परंपरा है। कपाटबंदी के बाद यमुना की उत्सव डोली को यमुनोत्री से छह किलोमीटर दूर खरसाली गांव लाया जाता है। शीतकाल में डोली यहीं रहती है।
लोक मान्यताओं के अनुसार खरसाली यमुना का देवी मायका है, लेकिन अब तक यहां उनका कोई मंदिर नहीं था। ऐसे में उत्सव डोली को विधि-विधान के साथ गांव के बीचोंबीच स्थित राजराजेश्वरी मंदिर में विराजमान किया जाता है। वर्ष 2008 में यमुनोत्री मंदिर समिति और पुरोहित समाज ने खरसाली में यमुना मंदिर के निर्माण का निर्णय लिया और इसी साल काम भी शुरू कर दिया गया। पहाड़ी शैली में मंदिर का निर्माण कार्य अब लगभग पूरा हो चुका है।
यमुनोत्री धाम के तीर्थ पुरोहित एवं मंदिर समिति के पूर्व उपाध्यक्ष पवन उनियाल ने बताया कि मंगलवार से तीर्थ पुरोहित चंद्रकांत उनियाल के कोलकाता निवासी यजमान मुदड़ा माहेश्वरी परिवार की ओर से यमुना यज्ञ और प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान शुरू किया गया है। बताया कि यमुनाजी की दो नई मूर्ति बनाई गई हैं।
इनमें एक चांदी की उत्सव मूर्ति है, जो यमुनाजी की डोली के साथ कपाट खुलने पर यमुनोत्री धाम ले जाई जाएगी। जबकि, दूसरी मूर्ति संगमरमर की है, जो इसी मंदिर में प्रतिष्ठित की जाएगी। बताया कि अब शीतकाल में अब इसी मंदिर में यमुना की डोली विराजेगी।
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