तीन माह में 1200 घंटे बंद रहा यमुनोत्री हाइवे, नहीं हुआ स्थायी समाधान
इस बरसात यमुनोत्री हाइवे डाबरकोट के पास 1200 घंटे से अधिक समय तक बंद रहा। इसका असर यात्रा पर भी साफ नजर आया।
By BhanuEdited By: Updated: Mon, 10 Sep 2018 11:37 AM (IST)
उत्तरकाशी, [जेएनएन]: यमुनोत्री हाइवे पर बीते एक साल से डाबरकोट भूस्खलन जोन का डर बरकरार है। वैज्ञानिकों से लेकर भूस्खलन जोन का उपचार करने वाली कंपनियां भी डाबरकोट का सर्वे कर चुकी हैं, लेकिन भूस्खलन जोन का स्थायी समाधान नहीं निकल पा रहा। स्थिति यह है कि इस बरसात यमुनोत्री हाइवे डाबरकोट के पास 1200 घंटे से अधिक समय तक बंद रहा। इसका असर यात्रा पर भी साफ नजर आया।
वर्ष 2017 में अगस्त के दूसरे सप्ताह ओजरी के पास डाबरकोट की पहाड़ी पर भूस्खलन शुरू हुआ था। इसके बाद 11 सितंबर से लेकर तीन अक्टूबर तक लगातार भूस्खलन के चलते यमुनोत्री हाइवे बंद रहा। तब से लेकर अब तक डाबरकोट की स्थिति नहीं सुधर पाई। हल्की-सी बारिश होने पर भी डाबरकोट की पहाड़ी से पत्थरों की बरसात होने लगती है। इससे यहां कई लोग घायल भी हो चुके हैं। बीती 17 जुलाई को डीएम डॉ. आशीष चौहान, एसपी ददन पाल व एसओ बड़कोट विनोद थपलियाल इस भूस्खलन जोन में बाल-बाल बचे थे।
बरसात के दौरान शायद ही कोई दिन रहा होगा, जब डाबरकोट से पूरे दिन आवाजाही हुई हो। इससे यमुनोत्री यात्रा भी बुरी तरह प्रभावित रही। जुलाई-अगस्त के दौरान तो यात्रा सिर्फ नाम की रही। जबकि, डाबरकोट भूस्खलन जोन के बीच हाईवे को खोलने और वैकल्पिक रास्ता तलाशने पर 1.50 करोड़ से अधिक की राशि खर्च हो चुकी है।
पहाड़ी दरकना बंद होने के बाद ट्रीटमेंट संभव
राष्ट्रीय राजमार्ग खंड, बड़कोट उत्तरकाशी के अधिशासी अभियंता नवनीत पांडेय के अनुसार बीते एक वर्ष में डाबरकोट का कई वैज्ञानिकों ने सर्वे किया। जीएसआइ (भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण) के वैज्ञानिकों ने राय दी थी कि जब तक पहाड़ी का दरकना पूरी तरह बंद नहीं हो जाता, तब तक कोई उपचार कार्य नहीं हो सकता। जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जायका) ने भी कोई सुझाव नहीं दिया है।
सड़क बनाने का प्रस्ताव
लोनिवि बड़कोट उत्तरकाशी के अधिशासी अभियंता जेपी रतूड़ी के अनुसार लोनिवि ने भूस्खलन जोन के स्थायी समाधान के लिए ओजरी से त्रिखली तक पांच किमी लंबी नई सड़क बनाने का प्रस्ताव तैयार किया। इसी जुलाई में शासन स्तर से जांच कमेटी आई और ओजरी के तीन स्थानों पर सड़क बनाने का प्रस्ताव दिया। लेकिन, अभी शासन स्तर से तय नहीं हो पाया है कि सड़क कहां से बनेगी। शासन के साथ बैठक में निकलेगा नतीजा
उत्तरकाशी के जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान के अनुसार शासन स्तर पर एक बैठक आयोजित की गई है, जिसमें भू-वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के आधार पर डाबरकोट भूस्खलन जोन के उपचार एवं वैकल्पिक मार्ग के बारे में चर्चा की जानी है। एनएच, लोनिवि व आपदा प्रबंधन से जुड़े अधिकारी बैठक में शामिल होंगे। इसी के बाद तय होगा की भूस्खलन जोन का किस तरह से उपचार किया जाना है।यह भी पढ़ें: इस बार आसान नहीं है बदरीनाथ की राह, भूस्खलन ने छुड़ाए पसीने
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