हाल के वर्षों में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या के रुप में विकसित हुआ है।
शहरों और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में वायु प्रदूषण न सिर्फ फेफड़ों की विफलता बल्कि स्ट्रोक, हृदय रोग, फेफड़ों का कैंसर और श्वसन संबंधी बीमारियों का कारण बन रहा है।
वायु प्रदूषण हमारी आंखों, त्वचा और अन्य अंगों के लिए काफी नुकसान पहुंचाता है। इससे कई गंभीर बीमारियों होती है।
शोध के अनुसार वायु प्रदूषण और ऑटोम्यून्यून बीमारियों के बीच रिश्ता है। प्रदूषकों के संपर्क में आने से रूमेटोइड अर्थराइटिस के मरीजों में सूजन की समस्या बढ़ जाती है।
दूषित हवा में सांस लेने से वायु प्रदूषण के पार्टिकल्स फेफड़ों और दिल में पहुंचने वाले रक्तप्रवाह में गहराई तक जा सकते हैं। जिससे हृदय की समस्या होती है।
हवा में मौजूद प्रदूषण के कारण हमारा मस्तिष्क भी प्रभावित होता है। खासतौर पर बुजुर्गों के दिमाग पर वायु प्रदूषण का काफी बुरा असर होता है।
प्रदूषित हवा में मौजूद कण त्वचा की नमी को छीनकर उसे रुखा बना देते हैं। जिससे त्वचा में जलन और रेडनेस जैसी समस्यायें होने लगती हैं।
गर्भावस्था के दौरान वायु प्रदूषण से कई तरह की समस्याएं पैदा हो सकती हैं। जिसमें समय से पहले जन्म और जन्म के समय कम वज़न होना और यहां तक कि स्टिल बर्थ का जोखिम भी बढ़ जाता है।
प्रदूषण का स्तर बढ़ते ही कई लोग आंखों में जलन, रेडनेस, ड्राईनेस या फिर पानी आने की समस्या से जूझते हैं। ऐसा होने पर डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें।