जानिए जगन्नाथ यात्रा से जुड़ी खास बातें


By Amrendra Kumar Yadav19, Jun 2023 05:00 PMjagran.com

जगन्नाथ यात्रा

उड़ीसा के पुरी में हर वर्ष भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा आषाढ़ महीने में निकाली जाती है। इस साल यह यात्रा 20 जून से प्रारंभ हो रही है। यह यात्रा 10 दिन तक चलती है।

भगवान जगन्नाथ

भगवान जगन्नाथ विष्णु के अवतार माने जाते हैं। इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ मौसी के घर जाते हैं जो गुंडिचा में है।

गुंडिचा मंदिर

यात्रा शुरू होने के अगले दिन भगवान जगन्नाथ गुडिंचा मंदिर जाते हैं, जहां एक हफ्ते तक उनकी पूजा की जाती है व इस दौरान यहां तरह-तरह के आयोजन होते हैं और भगवान को अनेक व्यंजनों का भोग लगाया जाता है।

वापसी

आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को भगवान की वापसी होती है। इस वापसी यात्रा को बाहुड़ा यात्रा कहा जाता है। एक दिन भगवान जगन्नाथ रथ में रहते हैं और भक्तों को दर्शन देते हैं।

स्थापना

उसके अगले दिन भगवान की प्रतिमाओं को मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया जाता है। समय-समय पर मूर्तियों को बदल दिया जाता है। इसे भी उत्सव की तरह मनाया जाता है।

प्रक्रिया

रथयात्रा में प्रयोग होने वाले रथ को बनाने की प्रक्रिया करीब 6 महीने पहले शुरू होती है। रथ के निर्माण के लिए लकड़ी के 865 टुकड़ों की आवश्यकता होती है। अक्षय तृतीया तिथि से रथ का निर्माण शुरू होता है।

तीन रथ

इस रथ यात्रा में 3 रथ होते हैं। भगवान जगन्नाथ के रथ को नंदीघोष, बलराम के रथ को तालध्वज और सुभद्रा के रथ को पद्म रथ कहा जाता है। बलराम का रथ आगे, बीच में देवी सुभद्रा का रथ और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ का रथ होता है।

छेरा पहरा रस्म

रथयात्रा की शुरुआत में यह रस्म निभाई जाती है, जिसमें पुरी के महाराज यात्रा के मार्ग और रथों को सोने की झाड़ू से साफ करते हैं। इसके बाद यात्रा का प्रारंभ होता है।

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