उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इस मंदिर का अत्यधिक महत्व है। महाकाल को उज्जैन के राजा की पदवी प्राप्त है।
किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले लोग महाकाल का आशीर्वाद लेते हैं। सावन के महीने में यहां भक्तों की भारी भीड़ होती है। हम इस मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें बताएंगे।
ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण राजा विक्रमादित्य ने करवाया था। यह मंदिर हजारों वर्ष पुराना है।
प्रत्येक वर्ष सावन के महीने में यहां भगवान महाकाल की सवारी निकाली जाती है। यह यात्रा शिप्रा नदी के तट से शुरू होती है और भ्रमण के बाद मंदिर में वापस आती है।
इस मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती, उनके दोनों पुत्र गणेश जी और कार्तिकेय जी की प्रतिमाएं भी विराजमान हैं।
यह एकमात्र ज्योतिर्लिंग है जो दक्षिणमुखी है। इस दिशा का स्वामी यमराज है, जो कि काल के स्वामी के नाम से जाने जाते हैं, इसलिए इस मंदिर को महाकाल मंदिर कहते हैं।
महाकाल मंदिर से कुछ ही दूरी पर हरसिद्धि माता का मंदिर भी है, जो 51 शक्तिपीठों में से एक है। शक्तिपीठ और ज्योतिर्लिंग इतने करीब होने की वजह से यहां का महत्व और बढ़ जाता है।
प्रत्येक सोमवार को यहां भस्म आरती होती है। भगवान शिव को स्नान कराने के पश्चात पंचामृत से अभिषेक कर भस्म आरती का आरंभ होता है।
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