1986 के समय से ही इलाके में अतीक का खौफ बनने लगा था, इस समय उसको पहली बार गिरफ्तार किया गया।
मुश्किलों से बचने के लिए अतीक को सियासी रास्ता आसान लगा। 1989 में अतीक अहमद ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर विधानसभा चुनाव लड़ा और जीता।
अतीक अहमद पर 100 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें हत्या, हत्या की कोशिश, किडनैपिंग, रंगदारी जैसे केस हैं।
अतीक को गुनाहों की दुनिया इतनी पसंद आ गई है कि उसने अब पूरे परिवार को इसमें शामिल कर लिया है। पांच में से चार बेटों के खिलाफ कई मामले दर्ज है।
अतीक अहमद गुजरात की साबरमती जेल में बंद है, तो छोटा भाई अशरफ यूपी की बरेली जेल में कैद है। अतीक का बड़ा बेटा उमर लखनऊ जेल में कैद है, तो दूसरा बेटा अली अहमद प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में है।
अतीक के तीसरे बेटे असद पर उमेश पाल शूटआउट केस में ढाई लाख रुपये का इनाम घोषित है, तो पत्नी शाइस्ता परवीन फरार हैं। एहजम और आबान नाम के दो नाबालिग बेटे बाल संरक्षण गृह में हैं।
25 जनवरी 2005 विधायक राजू पाल की दिन दहाड़े हत्या कर दी गईं, जिसका आरोप अतीक और उसके भाई अशरफ पर लगा।
राजू पाल की हत्या के बाद से अतीक से राजनीतिक सफर ने फुलस्टॉप लगा दिया। इसके बाद वे कोई चुनाव नहीं जीत सका था।
अतीक ने गुंडाराज कायम रखते हुए ठेके लेकर अरबों की संपत्ति जुटा ली है। रंगदारी-वसूली और गुंडा टैक्स से भी उसने अरबों रुपये कमाए हैं।