शीतकाल के दौरान जब बदरीशपुरी बर्फ की चादर ओढ़े रहती है, तब भगवान बद्रीनारायण पांडुकेश्वर स्थित योग-ध्यान बद्री मंदिर और जोशीमठ स्थित नृसिंह बद्री मंदिर में अपने भक्तों को दर्शन देते हैं।
जोशीमठ-बदरीनाथ हाइवे पर बद्रीनाथ धाम से 18 किमी पहले और जोशीमठ से 24 किमी आगे पांडुकेश्वर में भगवान नारायण के प्रतिनिधि के रूप में उनके बालसखा उद्धवजी और देवताओं के खजांची कुबेरजी की पूजा होती है।
जोशीमठ में भगवान के वाहन गरुड़जी व आदि शंकराचार्य की गद्दी की पूजा होती है।
शीतकालीन यात्रा के दौरान आप औली में संजीवनी शिखर, हनुमान चट्टी, शंकराचार्य मठ और विष्णु प्रयाग में भी दर्शन कर सकते हैं।
योग-ध्यान बद्री मंदिर पंच बद्री मंदिरों में से एक है। बताया जाता है कि चमोली जिले में समुद्रतल से 1920 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर की स्थापना पांडवों के पिता राजा पांडु द्वारा की गई थी।
यहां भगवान विष्णु की कांस्य प्रतिमा ध्यान मुद्रा में स्थापित है, इसलिए इसे योग-ध्यान मंदिर कहा गया।
नृसिंह मंदिर के पास ही भगवान नारायण के वाहन गरुड़जी का भी मंदिर है।