चाणक्य नीति ग्रंथ में आचार्य चाणक्य ने सफलता पाने के लिए कई गूढ़ रहस्यों के बारे में विस्तार से बताया है।
यदि इन नियमों को जीवन में कोई पालन करता है तो उसे बहुत अधिक लाभ हो सकता है।
वर्तमान में भी आचार्य चाणक्य की शिक्षा लाखों युवाओं को मार्गदर्शन दे रही है।
आज हम चाणक्य नीति के उस भाग के बारे में बात करेंगे, जिसमें उन्होंने एक अच्छे पुत्र के बारे बताया है।
एक पुत्र का व्यवहार ऐसा होना चाहिए, जो पूरे कुल का नाम ऊंचा करता हो।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि पुत्र को सदैव अपने पिता की आज्ञा का पालन करना चाहिए।
चाणक्य के मुताबिक सैकड़ों बुद्धिमान पुत्रों से एक योग्य और बुद्धिवान संतान ज्यादा अच्छी है।
मूर्ख संतान माता-पिता के लिए दुश्मन समान होती है। अगर संतान बेवकूफ हो तो माता-पिता के लिए जीवन कष्टदायी होता है।
पुत्र को पांच वर्ष तक प्रेम, फिर पांच से 10 वर्ष तक कड़ी निगरानी, और 10 से 16 तक पुत्र से साथ मित्रवत व्यवहार करना चाहिए।