इस दिन स्नान-दान करने का विशेष महत्व होता है। ऐसा करने से जीवन में सकारात्मक परिणाम दिखने लगते हैं। आइए जानते हैं कि फाल्गुन अमावस्या को किन मंत्रों का जाप करना चाहिए?
फाल्गुन मात्र की अमावस्या तिथि की शुरुआत 09 मार्च को शाम 06 बजकर 17 मिनट होगी। इस तिथि का समापन 10 मार्च को दोपहर 02 बजकर 29 मिनट पर होगा।
अगर आप पितृ दोष का सामना कर रहे हैं तो फाल्गुन माह की अमावस्या तिथि को मंत्र का जाप करना चाहिए।
जीवन में आने वाले परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे सारे दोष दूर होने लगते हैं और सुख-समृद्धि आती है।
अगर आप पितृ दोष का सामना कर रहे हैं तो ‘ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि, शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्’ मंत्र का जाप करना चाहिए।
नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव को दूर करने के लिए गायत्री मंत्र ‘ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्’ का जाप करना चाहिए।
अमावस्या के दिन पितरों को तर्पण करते समय ‘ॐ कुल देवताभ्यो नमः’ का मंत्र करना चाहिए। इससे पितर प्रसन्न होने लगते हैं।
अमावस्या के दिन स्नान करते समय ‘अयोध्या मथुरा, माया, काशी कांचीअवन्तिकापुरी, द्वारवती ज्ञेयाः सप्तैता मोक्ष दायिका’ मंत्र पढ़ना चाहिए। इससे बैकुंठ की प्राप्ति होती है।
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