चार दिनों तक चलने वाला छठ महापर्व 28 अक्टूबर से शुरू हो चुका है। जिसका समापन 31 अक्टूबर को होगा। कार्तिक मास की षष्ठी तिथि यानि छठ पूजा के तीसरे दिन भगवान सूर्य की विशेष पूजा की जाती है।
छठ पर्व में माताएं अपने संतान की लम्बी उम्र के लिए 24 घंटे से अधिक समय के लिए कठिन निर्जला उपवास रखती हैं।
छठ पूजा के दिन कच्चे चावल व गुड़ को बहते हुए पानी में प्रवाहित करने से भक्तों को विशेष लाभ होता है। साथ ही इस दिन चावल, दूध और गुड़ से बनी खीर का सेवन जरूर करना चाहिए।
छठ पूजा के दिन पूर्व दिशा में मुख करके भगवान सूर्य की पूजा करें। ऐसा करने के लिए एक चौकी पर सफेद वस्त्र बिछाकर भगवान सूर्य की फोटो या प्रतिमा स्थापित करें और फिर उनकी पूजा करें।
छठ पूजा के दिन ताम्बे से बना सिक्का बहते हुए पानी में प्रवाहित करने से भक्तों को विशेष लाभ मिलता है। साथ ही ऐसा करने से सूर्य से जुड़े दोष से भी निवारण मिलता है।
संध्या अर्घ्य: 30 अक्टूबर शाम 05 बजकर 34 मिनट पर और उषाकाल अर्घ्य : 30 अक्टूबर 2022 प्रातः 06 बजकर 27 मिनट पर
ॐ ऐही सूर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते। अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणार्ध्य दिवाकर:।।; ॐ सूर्याय नम:, ॐ आदित्याय नम:, ॐ नमो भास्कराय नम:। अर्घ्य समर्पयामि।।