कार्तिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन देव दीपावली पर्व मनाई जाएगी।
भगवान शिव से त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। ऐसे में सभी देवी देवताओं ने धरती पर काशी में गंगा स्नान के साथ दीपदान किया था।
देव दिवाली के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि कर लें। इसके बाद साफ सुथरे वस्त्र धारण कर लें।
एक तांबा के लोटे में जल भरकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें।
एक चौकी में पीले रंग का वस्त्र बिछाएं। इसके बाद भगवान गणेश के साथ शिव जी की तस्वीर स्थापित कर दें।
शिव जी को सफेद चंदन चढ़ाएं। इसके साथ ही गणेश जी को लाल सिंदूर, अक्षत, कुमकुम आदि चढ़ा दें।
शिव जी और गणेश जी को जनेऊ, दुर्वा घास के साथ-साथ इत्र, फूल, माला, धूप और नैवेद्य आदि चढ़ा दें।
एक-एक पान में 2 लौंग, 2 छोटी इलायची, एक-एक सुपारी, एक-एक बताशा और कुछ रुपए रखकर चढ़ा दें।
घी का दीपक और धूप जलाकर विधिवत आरती के साथ मंत्र और चालीसा का पाठ करें।
अब शिवलिंग की भी पूजा कर लें। शिवलिंग का अभिषेक करें। इसके लिए दूध, दही, शहद, गंगाजल, पंचामृत आदि का इस्तेमाल कर लें।