हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को देव दीपावली का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व आज काशी में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है।
पौराणिक मान्यता है कि इस दिन सभी देवी-देवता धरती में आते हैं और गंगा स्नान करके इस पर्व को मनाते हैं। यह पर्व काशी में इतने धूमधाम से क्यों मनाया जाता है, आइए जानते हैं।
कार्तिक मास में पूर्णिमा तिथि के दिन पड़ने वाली देव दीपावली को त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। बता दें कि इस नाम के पीछे एक पौराणिक कथा है।
कथा के अनुसार त्रिपुरासुर नाम का एक राक्षस था जिसके अत्याचारों से हर कोई परेशान हो गया था। ऐसे में हर कोई चाहता था कि उसके आतंक से मुक्त मिल जाए।
दैत्य का वध करने के लिए भगवान शिव की आराधना की गई। फिर उन्होंने त्रिपुरासुर का वध किया। इसलिए आज भी भगवान शिव को त्रिपुरारी नाम से भी जाना जाता है।
भगवान शिव ने दिन त्रिपुरासुर का संहार किया था वह कार्तिक पूर्णिमा का दिन था। राक्षस के वध के बाद सभी देवी-देवता उत्सव मानाने के लिए काशी आए थे और दीप जलाकर खुशियां मनाई थी।
कार्तिक पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - 7 नवंबर 2022 को शाम 04 बजकर 12 मिनट से शुरू कार्तिक पूर्णिमा तिथि समाप्त - 8 नवंबर 2022 को शाम 04 बजकर 35 मिनट तक प्रदोष काल देव दीपावली मुहूर्त - शाम 05 बजकर 120मिनट