ज्योतिष पंचांग के अनुसार देवउठनी एकादशी व्रत कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। इस वर्ष यह व्रत 4 अक्टूबर के दिन रखा जाएगा।
देवोत्थान एकादशी, देव प्रभोदिनी एकादशी जैसे अनेक नामों से प्रचलित देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु 4 माह के निद्रा से जागते हैं।
भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए देवउठनी एकादशी के दिन केसर और दूध से उनका अभिषेक करें। ऐसा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।
देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते के साथ सफेद रंग का भोग जरूर अर्पित करें। इस दिन खीर या सफेद रंग का मिष्ठान भगवान को भोग लगाना सबसे उत्तम उपाय है।
देवउठनी एकादशी के दिन घर के नजदीक बने मंदिर में भगवान विष्णु को नारियल व बादाम अर्पित करें। इससे रुके हुए सभी कार्य पूर्ण होते हैं और उनका परिणाम भी उत्तम निकलता है।
शास्त्रों में बताया गया है कि देवउठनी ग्यारस पर व्यक्ति को तुलसी के पौधे को नहीं तोड़ना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि इस दिन भगवान शालिग्राम का विवाह माता तुलसी से विधि-विधान से किया जाता है।
देवउठनी एकादशी तिथि के दिन तामसिक व चावल खाने से बचना चाहिए। साथ ही इस दिन मदिरा, मांस का सेवन निषेध है। इस दिन चावल करने से व्यक्ति रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म लेता है।