पारंपरिक तौर पर रेड वाइन के ग्लास लंबे होते हैं और उनका ऊपरी हिस्सा बड़ा होता है। ऐसा इसलिए ताकि वाइन का अरोमा ज़्यादा देर तक रहे, क्योंकि इसे धीरे-धीरे छोटे घूंट लेकर पिया जाता है।
रेड वाइन की तुलना में वाइट वाइन का ग्लास लंबाई में कुछ छोटा होता है और उसका मुंह भी छोटा होता है। ऐसा इसलिए ताकि वाइन जल्द ऑक्सीडाइज़ न हो। इससे इसका स्वाद बना रहता है।
यह ग्लास भी वाइन के परिवार का ही हिस्सा है। इस तरह का ग्लास लंबा लेकिन आकार में पतला होता है। इसमें आमतौर पर इसमें स्पार्कलिंग वाइन और शैम्पेन पी जाती है।
बियर कभी भी आम ग्लास में नहीं पी जाती। इसके ग्लास को मग कहा जाता है, क्योंकि यह आकार में बड़ा होता है, इसे पकड़ने के लिए हैंडल होता है, जिससे बियर जल्दी गर्म नहीं होती। यह कई साइज़ में आता है।
इस तरह का ग्लास भी बियर सर्व करने के काम आता है। आमतौर पर बार और रेस्टॉरेंट में इनमें बियर या साइडर सर्व किया जाता है। यह ग्लास आकार में सिलेंड्रिकल होते हैं, ऊपर से चौड़े होते हैं।
व्हिस्की के लिए आमतौर पर यही ग्लास ज़्यादा पॉपुलर है। बार-पब में आपको यही नज़र आएंगे। इन ग्लास का तला मोटा और भारी होता है ताकि यह स्तेह से दूर रहे और गर्माहट बरकरार रखा जा सके।
मार्टीनी को इसी तरह के ग्लास में सर्व किया जाता है। वी-शेप का यह ग्लास कॉकटेल ग्लास के मुकाबले आकार में बड़ा होता है।
डबल बाउल शेप के इस ग्लास में फ्रोज़न कॉकटेल्स जैसे मार्गरीटा को सर्व किया जाता है। ग्लास के निचले हिस्से में सॉलिड इंग्रीडियंट जाते हैं और ऊपरी हिस्से में एल्कोहॉल।