महाभारत की रणभूमि में अर्जुन को भगवान श्री कृष्ण द्वारा दिया गया ज्ञान सर्वश्रेष्ठ ज्ञान माना गया है।
श्रीमद्भागवत गीता, श्रीकृष्ण द्वारा बताई गई बहुमूल्य बातों का एक संग्रह है। भारतीय परम्परा में गीता वही स्थान रखती है जो उपनिषद और धर्मसूत्रों का है।
भगवत गीता में निहित कुछ श्लोक आपको जीवन की कठिन-से-कठिन परिस्थिति से निकलने में सहायता करते हैं।
त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनमात्मनः। कामः क्रोधस्तथा लोभस्तरमादेतत्त्रयं त्यजेत्।।
मनुष्य को काम, क्रोध व लोभ तीनों को त्याग देना चाहिए। यह तीनों ही भाव व्यक्ति के लिए नरक के द्वार खोल देते हैं।
इस श्लोक के द्वारा भगवान कहना चाहते हैं कि अगर हम किसी लक्ष्य को पाना चाहते हैं तो ये 3 अवगुण हमें हमेशा के लिए छोड़ देने चाहिए।
तानि सर्वाणि संयम्य युक्त आसीत मत्परः वशे हि यस्येन्द्रियाणि तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता।।
मनुष्यों को संपूर्ण इंद्रियों को वश करने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि जिस मनुष्य की इंद्रियां वश में होती हैं, उसकी ही बुद्धि स्थिर होती है।
नास्ति बुद्धिरयुक्तस्य न चायुक्तस्य भावना। न चाभावयत: शांतिरशांतस्य कुत: सुखम्।।
जिस मनुष्य का मन धन, वासना, आलस्य आदि में लिप्त है, उसके मन में आत्मज्ञान नहीं होता।