हर साल इस पर्व को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इसे पूरे देश में मनाया जाता है लेकिन महाराष्ट्र में इसे बड़े स्तर पर मनाया जाता है।
इस दिन गणेश जी के बड़े-बड़े पंडाल लगते हैं और इनमें गणपति जी की मूर्ति स्थापित की जाती है।
मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी के राज में हर घर में गणेश जी की पूजा होती थी क्योंकि गणेश जी पेशवाओं के कुल देवता हैं।
हालांकि समय के साथ-साथ पेशवाओं का साम्राज्य कमजोर होता गया जिससे इस पर्व का उत्सव भी कम होने लगा।
हालांकि लोकमान्य तिलक ने आजादी की लड़ाई के समय एक बार फिर से इस पर्व को बड़े स्तर पर मनाने की कोशिश की। इसमें वे काफी हद तक सफल भी रहे।
सन 1893 से एक बार फिर से इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाने लगा, जिसके बाद हर साल इस पर्व को बड़े स्तर पर मनाया जाता है।
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने ही गणेश जी की प्रतिमा जनता में लगाई और दसवें दिन इसे नदियों में विसर्जित करने की परंपरा स्थापित की।
लोकमान्य तिलक ने गणेश जी को सबके भगवान कहा और गणेश चतुर्थी को भारतीय त्यौहार घोषित किया।
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