दिवाली का यह त्योहार ढेर सारी खुशियां और जश्न का मौका लाता है, लेकिन साथ ही हमें खाने पीने पर नज़र भी रखनी चाहिए। ज़रूरत से ज़्यादा तला-भुना और मीठा खाने से आपकी सेहत पर असर पड़ सकता है।
मिठाइयों में चीनी और मैदे की मात्रा कहीं ज़्यादा होती है। साथ ही कार्ब्स और ग्लायसेमिक इंडेक्स में भी उच्च होती हैं। जिसका सेवन अगर ज़्यादा कर लिया जाए, तो स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच सकता है।
दूध में प्रोटीन और फैट्स होते हैं। इसलिए अगर मिठाइयों में मलाई का भी उपयोग अगर किया गया है, तो भी इसका ग्लायसेमिक इंडेक्स कम ही होगा। इसलिए रस मलाई, बिस्किट, केक की जगह छेना मिठाई लें।
छेना में जहां दूध का उपयोग किया जाता है, वहीं रस मलाई, केक में खूब सारी चीनी और मैदा डलता है। रसमलाई और बिस्किट की तुलना में छेना में प्रोटीन की मात्रा भी ज़्यादा होती है।
बेसन फाइबर से भरा होता है, जौ और बाजरे में फाइबर की मात्रा बेसन के मुकाबले थोड़ी कम होती है। रागी या आटे के लड्डू की जगह बेसन का लड्डू चुनें।
ताज़ा खजूर से बनी मिठाइयां आर्टिफिशियल स्वीटनर से बेहतर होती हैं। खजूर में फ्रूक्टोस और फाइबर होता है, जो इसे ज़्यादा हेल्दी बनाता है। इसे सही मात्रा में खाया जाए, तो ये बिल्कुल सुरक्षित होती है।
त्योहारों के समय हम में से ज़्यादातर लोग ज़रूरत से ज़्यादा खा लेते हैं। ऐसे में अपने खानपान पर नज़र रखें और थोड़ा-थोड़ा कर ही खाएं। इससे आपकी सेहत पर त्योहार का असर नहीं पड़ेगा।