हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का अत्यधिक महत्व है, यह व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। प्रदोष व्रत हर महीने में 2 बार पड़ता है। यह व्रत कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को होता है।
इस दिन भक्तगण भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करते हैं और व्रत आदि का पालन करते हैं, इस दिन व्रत करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
माघ महीने के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली त्रयोदशी तिथि का आरंभ 7 फरवरी को दोपहर 2 बजकर 2 मिनट पर शुरु हो रहा है और अगले दिन सुबह 11 बजकर 16 मिनट पर समाप्त हो रहा है।
प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है, ऐसे में 7 फरवरी को प्रदोष व्रत रखा जाएगा। चूंकि यह प्रदोष व्रत बुधवार के दिन पड़ रहा है, इसलिए इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाएगा।
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा के लिए सुबह जल्दी उठें और स्नानादि के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर शिवजी की पूजा करें और शिव जी के समक्ष दीपक जलाएं।
इसके बाद शिवलिंग पर जलाभिषेक करें और विधि-विधान से पूजा करें। इसके बाद शिव चालीसा और शिव मंत्रों का जाप करें।
शिव जी की पूजा करते समय शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, धूप, दीप, अक्षत, फल, मिठाई आदि अर्पित करें, इससे शिव जी प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर कृपा बरसाते हैं।
पूजा के बाद शिव जी और माता पार्वती की आरती करें और शुभ फलों की कामना करें, इसके बाद प्रसाद वितरित करें।
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