नरक चतुर्दशी के दिन ही काली चौदस मनाई जाती है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को काली चौदस मनाई जाती है।
मां काली ने कई राक्षसों का वध करके भक्तों को उनके भय और प्रकोप से मुक्ति दिलाई। मां काली की पूजा करने से भक्तों के जीवन के कष्ट और भय दूर होते हैं।
इस दिन अभ्यंग स्नान का विशेष महत्व है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर शरीर पर उबटन लगाकर स्नान करें।
स्नान आदि की क्रियाओं से मुक्त होकर मां काली की पूजा करें। एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर मां काली की पूजा करें।
पूजा करने के लिए चौकी पर कपड़ा बिछाकर मां काली की मूर्ति स्थापि करें और फिर पूजा करें। माता के समक्ष एक दीप प्रज्वलित करें, इसके बाद पूजा आरंभ करें।
मां काली के मंत्र का जाप करने के लिए लाल चंदन की माला सबसे उत्तम मानी गई है। लाल चंदन की माला से मंत्र का जाप करें।
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तु ते।।
ऐसा करने से भक्तों के जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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