इन दिनों उत्तराखंड के केदारनाथ पहाड़ियों में एवलांच आया, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है।
एवलांच तब आता है, जब ऊंची चोटियों पर बर्फ ज्यादा मात्रा में जम जाती है और दबाव ज्यादा होने पर बर्फ अपनी जगह से खिसक जाती है।
जब बर्फ की परतें खिसकती हैं, और तेज बहाव के साथ नीचे आने लगती तो रास्तें में जो कुछ भी आता है तो उसे बहा ले जाती हैं।
उत्तराखंड में एवलांच की अब तक कई सारी घटनायें सामने आ चुकी हैं।
वर्ष 2021 में त्रिशूल चोटी आरोहण के दौरान हिमस्खलन की चपेट में आए नौसेना के पांच पर्वतारोहियों सहित छह की मौत हो गई थी।
वर्ष 2021 में लम्खागा दर्रे में एवलांच से नौ पर्यटकों की मौत गई थी।
नंदादेवी चोटी के आरोहण के दौरान एवलांच की चपेट में आने से वर्ष 2019 में चार विदेशी पर्वतारोही सहित आठ की मौत हो गई थी।
वर्ष 2016 में शिवलिंग चोटी पर दो विदेशी पर्वतारोहियों की मौत हुई थी।
साल 2012 में वासुकीताल के पास एवलांच आने से बंगाल के पांच पर्यटकों की मौत हो गई थी।
कालिंदीपास में एवलांच आने से बंगाल के तीन पर्वतारोही और पांच पोर्टर की वर्ष 2008 में मौत हो गई थी।
वर्ष 2005 में सतोपंथ चोटी पर आरोहण के दौरान एवलांच से सेना के एक पर्वतारोही की मौत हो गई थी।