वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या और पूर्णिमा तिथि के दिन रखा जाता है, जो काफी अहम माना जाता है।
पूर्णिमानता पंचांग के अनुसार वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि के दिन रखा जाता है और अमानता पंचांग के अनुसार यह व्रत पूर्णिमा तिथि के दिन रखा जाता है।
वट सावित्री अमावस्या व्रत 19 मई 2023, शुक्रवार के दिन रखा जाएगा जबकि वट सावित्री पूर्णिमा व्रत 03 जून 2023, शनिवार के दिन रखा जाएगा।
इन दोनों दिनों पर सुहागिन महिलाएं वट अर्थात बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं और वृक्ष के चारों ओर रक्षा सूत्र बांधती हैं।
वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश वास करते हैं। ऐसे में वट सावित्री व्रत रखने से पति की अकाल मृत्यु का भय दूर जाता है।
ब्रह्म मुहूर्त में उठें। नित्य कर्मों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। लाल रंग की साड़ी पहनें और सोलह श्रृंगार करें।
सबसे पहले सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें और अवैधव्यं च सौभाग्यं देहि त्वं मम सुव्रते, पुत्रान् पौत्रांश्च सौख्यं च गृहाणार्घ्यं नमोऽस्तुते मंत्र का जप करें।
वट वृक्ष की सात बार परिक्रमा करें। इस दौरान कच्चा धागा वट वृक्ष को लपेटें। इसके बाद वट वृक्ष की पूजा करें। पूजा के दौरान वट सावित्री व्रत कथा करें।
अंत में यम देवता और माता सावित्री से सुख और सौभाग्य की कामना करें। इसके बाद सासु मां को पैसे देकर आशीर्वाद प्राप्त करें।
पूजा में प्रयोग सामग्री को किसी ब्राह्मण को दान कर दें। दिन भर उपवास रखें। शाम में आरती अर्चना के बाद फलाहार करें।